बरेली: तना छेदक कीट से करें आम के पेड़ का बचाव

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बरेली,अमृत विचार। आम के पेड़ों पर बौर लद गए हैं। इसके साथ मिली बग, फल मक्खी, भुगना व तना छेदक कीट के हमले भी तेज हो गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा आम को प्रभावित करने वाला तना छेदक कीट है, इसके प्रकोप से आम के पेड़ एवं फलों को अधिक क्षति पहुंचती है। इससे निजात …

बरेली,अमृत विचार। आम के पेड़ों पर बौर लद गए हैं। इसके साथ मिली बग, फल मक्खी, भुगना व तना छेदक कीट के हमले भी तेज हो गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा आम को प्रभावित करने वाला तना छेदक कीट है, इसके प्रकोप से आम के पेड़ एवं फलों को अधिक क्षति पहुंचती है। इससे निजात पाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की ओर से किसानों को सुझाव दिए गए हैं।

कृषि वैज्ञानिक डा. रंजीत सिंह ने बताया कि आम में तना छेदक कीट तब आक्रमण करता है, जब पौधे की जड़ से फफूंदी प्रवेश कर जाए। फफूंदी के प्रवेश से अंदर की लकड़ी के ऊतक मरने लगते हैं व सूखने लगते हैं। अगर सुरूआती दौर में ध्यान दे दिया जाए ताे पेड़ को इस बीमारी से आसानी से बचाया जा सकता है।

रोग की पहचान
पेड़ की छाल का फटना, टहनियों से गोंद निकलना, कभी-कभी अच्छे पेड़ की कोई एक टहनी सूख जाना छेदक कीट रोग की पहचान है। इस मौसम में तना छेदक कीट का आक्रमण आम के पेड़ों पर होता है। पेड़ के अंदर की लकड़ी सूखने के कारण तना छेदक कीट तने की छाल के अंदर अपने अंडे देता है। उससे सूड़ी निकल के अंदर तने को खाती है और बुरादा जैसा बाहर छोड़ती है।

रोग से बचाव के उपाय

इन कीटों के हमले से कभी-कभार पूरे पेड़ सूख जाते हैं। इसके बचाव के लिए 250 ग्राम कॉपर सल्फेट अथवा तूतिया पेड़ के जड़ के पास मिला दें। साथ ही दो स्प्रे कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 3 किलोग्राम प्रति 100 लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें। पहला छिड़काव 15 जुलाई व दूसरा छिड़काव 15 अगस्त पर करें। अत्यधिक रोग ग्रस्त बाग में तीसरा छिड़काव बरसात समाप्त होने के बाद 15 सितंबर को भी करना चाहिए।

कीटनाशक तेल का भी करें प्रयोग

जिन पेड़ों में तना छेदक का प्रकोप हो गया है, उसके लिए रुई के फाहे को कीटनाशी जैसे नीम का तेल, मेलाथियान आदि में डुबोकर कीट द्वारा बनाए छिद्रों में किसी तीली की सहायता से भर दें। छिद्रों के मुंह चिकनी मिट्टी से बंद कर दें। ऐसा करने से कीट प्रभावी रूप से नियंत्रित हो जाते हैं।

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