बागेश्वर: मतगणना तिथि पास आते ही प्रत्याशियों की दिल की धड़कनें हुईं तेज

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बागेश्वर, अमृत विचार। मतगणना तिथि नजदीक आते ही प्रमुख राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों व समर्थकों की दिल की धड़कनें फिर से बढ़ने लगी हैं। कुछ समर्थक व प्रत्याशी दोबारा बूथवार आंकड़ें के लिफाफे खोलकर दोबारा समीक्षा करने लगे हैं। जनपद में दो विधानसभा सीट हैं। जिसमें बागेश्वर सुरक्षित सीट में भाजपा व कांग्रेस के बीच …

बागेश्वर, अमृत विचार। मतगणना तिथि नजदीक आते ही प्रमुख राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों व समर्थकों की दिल की धड़कनें फिर से बढ़ने लगी हैं। कुछ समर्थक व प्रत्याशी दोबारा बूथवार आंकड़ें के लिफाफे खोलकर दोबारा समीक्षा करने लगे हैं।

जनपद में दो विधानसभा सीट हैं। जिसमें बागेश्वर सुरक्षित सीट में भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता रहा है परंतु इस बार आम आदमी पार्टी की धमक के कारण इस सीट में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। वहीं, कांग्रेस के दो बागियों के मैदान में उतरने के कारण भी मुकाबला रोचक हो गया। जानकारों का मानना है कि इन दोनों बागी प्रत्याशी में भैरव नाथ टम्टा ने जहां अपने निजी वोट बैंक को बटोरा है वहीं गरूड़ क्षेत्र से एकमात्र दमदार उम्मीदवार होने के कारण उन्हें क्षेत्रवाद का भी लाभ मिला तथा उन्होंने कांग्रेस समेत भाजपा के वोटों में भी सेंध लगाई है जिससे बागेश्वर सीट के परिणाम अप्रत्याशित हो सकते हैं।

वहीं, कांग्रेस से ही बागी चुनाव लड़ रहे बालकृष्ण ने भी पांच साल तक कांग्रेस के बैनर तले जो आम जनता की समस्याओं को लेकर आंदोलन किए उसका लाभ भी उन्हें कुछ हद तक मिलने की बात की जा रही है। बताया जा रहा है कि बालकृष्ण ने कोविड काल में जिस तरह से जनता की मदद की उसका भी लाभ उन्हें मिला है। आम के त्रिकोणीय संघर्ष के बीच भैरव नाथ व बालकृष्ण की धमक की चुनावों के बाद जो रिपोर्ट आई उससे इस सीट पर कौन जीतेगा इसका अनुमान कोई लगा नहीं पा रहा है। भाजपा व कांग्रेस इस आधार से चिंतित लग रहे हैं। वहीं, आप भाजपा व कांग्रेस की चिंता को अपने पक्ष में बता रही है।

कपकोट सामान्य सीट की बात की जाय तो यहां पर भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला बताया जा रहा है। यहां की सीट पर राजनैतिक विष्लेषकों का मानना है कि इस सीट में प्रारंभ में भाजपा के प्रति कुछ कार्यकर्ताओं की नाराजगी थी जिसे सीएम पुष्कर धामी ने आकर दूर कर दिया। यहां नामांकन के बाद माना जा रहा था कि यह सीट कांग्रेस के पक्ष में जाएगी परंतु मतदान के बाद अब लोग दंभ कर यह नहीं कह पा रहे हैं कि यह सीट किसके पक्ष में जाएगी तथा यहां पर कुछ भी हो सकता है की स्थिति में आ गई है।

राजनैतिक जानकारों के अनुसार सीएम के आने के बाद कुछ नाराज भाजपाई मान गए थे तथा यहां पर चुनाव प्रचार के अंतिम दिनों में राजनाथ सिंह की सभा के बाद यहां पर चुनावी अनुमान का गणित सशंकित हुआ है। मतदान के लगभग बीस दिन बाद भाजपा व कांग्रेस के राजनैतिक विचारकों व गणितज्ञों के बूथवार रूझान के बाद वे खुद ही सशंकित हो गए हैं कि दोनों सीटों पर कौन जीतेगा। अपने समर्थकों की सूचनाओं के आधार पर अब भाजपा व कांग्रेस दोनों दल हालांकि जीत का दावा कर रहे हैं परंतु अब उनकी दिल की धड़कनें बढ़ने लगी हैं साथ ही दबी जुबान प्रत्याशियों के खुले समर्थक भी कुछ भी हो सकता है की स्थिति में आ गए हैं।

सात फरवरी के एक्जिट पोल का है इंतजार
बागेश्वर। चुनावों में जीत का आंकलन लगाने वाले दलों के राजनैतिक गणितज्ञ अब कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं तथा उन्हें स्वयं ही इस बार सात फरवरी को एक्जिट पोल के लिए न्यूज चैनल के समाचार का इंतजार कर रहे हैं। क्योंकि सात मार्च को उप्र में अंतिम चरण का मतदान है। इसके बाद न्यूज चैनलों का एक्जिट पोल प्रसारित करने की उम्मीद है।

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