लखीमपुर-खीरी: बैक डेट के टिकट चलाने को लेकर संविदा परिचालक की संविदा समाप्त
लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। बीती 18 फरवरी को अचानक रोडवेज के समीप एक अनुबंधित बस खराब हो जाने के बाद अधिकारियों के कहने पर बैक डेट के टिकट चलाये जाने के आरोप में परिचालक पर कार्यवाही करते हुए उसकी संविदा समाप्त कर दी गयी हैं। परिचालक का आरोप है कि ऐसा कृत्य उसने एआरएम के कहने …
लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। बीती 18 फरवरी को अचानक रोडवेज के समीप एक अनुबंधित बस खराब हो जाने के बाद अधिकारियों के कहने पर बैक डेट के टिकट चलाये जाने के आरोप में परिचालक पर कार्यवाही करते हुए उसकी संविदा समाप्त कर दी गयी हैं। परिचालक का आरोप है कि ऐसा कृत्य उसने एआरएम के कहने पर किया था। कार्यवाही होने के बाद नाराज संविदा परिचालक शिवशरण मिश्र ने मानवाधिकार आयोग में नियम विरुद्ध कार्य करने के संबंध में प्रार्थना पत्र देकर जांच की मांग की है।
18 फरवरी की सुबह जब वह लखीमपुर से लखनऊ रोड पर अपना वाहन लेकर जा रहा था। बस में 45 यात्री यात्रा कर रहे थे लखीमपुर से बाहर निकलते ही चार किलोमीटर पर बस खराब हो गई। संविदा परिचालक शिवशरण मिश्र के मुताबिक उसने अपनी बस की सवारियों को दूसरे वाहनों पर बिठाने का प्रयास किया, लेकिन जब किसी ने वाहन नहीं रोका तो यात्री नाराज होने लगे जिसके बाद उसे मजबूरीवश यात्रियों का किराया वापस करना पड़ा।
बस खराब होने के बाद परिचालक शिवशरण लखीमपुर रोडवेज बस स्टैंड पहुंचा और केंद्र प्रभारी ड्यूटी इंचार्ज को लिखित सूचना दी, केंद्र प्रभारी से बैग तथा कैश जमा करने की बात कही लेकिन केंद्र प्रभारी ने बैग जमा नहीं किया। परिचालक ने आरोप लगाया कि मौके पर मौजूद केंद्र प्रभारी व एआरएम ने मौखिख रूप से यह आदेश दिया कि वह एक दिन के बाद टिकट चला सकता है। अब इसको परिचालक की खराब किस्मत कहें या अधिकारियों की सोची समझी साजिश?
आखिरकार अधिकारियों की लापरवाही उस समय परिचालक पर भारी पड़ गयी जब वह 19 फरवरी को बस लेकर लखनऊ के लिए रवाना हुआ। परिचालक का आरोप है कि निर्धारित मार्ग पर वाहन लेकर जाते समय खराबा टोल प्लाजा के बिनौरा गांव में यातायात निरीक्षक संतोष कुमार व दिनेश कुमार राणा बस में आ गए और बिल चेक करने लगे। टिकट पर एक दिन पहले दिन यानी 18 फरवरी की तिथि अंकित थी, कारण पूछने पर शिवशरण ने उन्हें पूरी बात बताई।
आरोप था कि मामले को सेटल करने के लिए संविदा परिचालक से दोनों यातायात निरीक्षकों ने उससे 20 हजार रुपये की मांग की, साथ ही दो बिना टिकट यात्री दिखाकर जुर्माने की रसीद काटने की धमकी दी। शिवशरण के राजी न होने पर आठ बिना टिकट यात्री लिख दिए गए, जबकि बस में सवार 38 के 38 यात्रियों के पास टिकट थे। परेशान हाल संविदा परिचालक ने मानवाधिकार आयोग से गुहार लगाई है।
क्या बोले एआरएम
पूरे मामले की जानकारी लेने पर एआरएम रोडवेज जोगिंदर सिंह का कहना है कि मामले की वास्तविकता जानने के लिए जांच कराई जा रही है। परिचालक सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल करके अपने बारे में जानकारी दे रहा है वहीं वह सामने आकर कोई भी बात नहीं कर रहा है। जांच पूरी होने के बाद जब रिपोर्ट आ जाएगी तभी कोई निर्णय लिया जाएगा।
आखिर क्यों नहीं किया बैग जमा
रोडवेज की बसों के नियमों की बात करें तो यहां पर यदि निर्धारित स्थान पर जाने के दौरान बस बीच में खराब हो जाती है तो यात्रियों को या तोें दूसरी बस में बैठाकर गंतव्य के लिए रवाना करना होता है। या फिर उनके टिकट वापसी की प्रक्रिया शुरू की जाती है। अब सवाल ये उठता है कि परिचालक द्वारा जानकारी देने के बाद भी केंद्र प्रभारी ने उसका बैग क्यों नहीं जमा किया? क्यों जारी किया गया बैक डेट के टिकट चलाने का आदेश? किसके आदेश से नहीं वापस हुए टिकट?
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