कानपुर; रूस-यूक्रेन युद्ध की आड़ में मुनाफाखोरी का चल रहा खेल, खाद्य तेल की कीमतों में हुई वृद्धि
कानपुर। रूस-यूक्रेन के बीच जंग को भुनाने में शहर के व्यापारियों की फौज सक्रिय हो गई है। जिन उत्पादों का इस जंग से कोई लेना-देना नहीं, उनकी कीमत भी 15 से 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बढ़ा दी गई है। रूस व यूक्रेन से आने वाले सूरजमुखी के तेल की मांग शहर में …
कानपुर। रूस-यूक्रेन के बीच जंग को भुनाने में शहर के व्यापारियों की फौज सक्रिय हो गई है। जिन उत्पादों का इस जंग से कोई लेना-देना नहीं, उनकी कीमत भी 15 से 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बढ़ा दी गई है।
रूस व यूक्रेन से आने वाले सूरजमुखी के तेल की मांग शहर में न के बराबर है। इसके बावजूद सूरजमुखी सहित सभी खाद्य तेलों के भाव 2० रुपये किलो तक बढ़ा दिए गए हैं। दालों में देश आत्मनिर्भर है, फिर भी इनकी कीमत में भी अच्छा खासा उछाल आ गया है।
टैक्स कम होने के बावजूद महंगा हुआ तेल
टैक्स घटने के बावजूद तेल के बढ़े भाव मुसीबत बन गए हैं। आयात शुल्क में देश में कमी हो रही है। इसके बावजूद जंग की आड़ में मुनाफाखोर लोगों को लूटने में लगे हैं। भारत में सूरजमुखी की जगह पाम आयल की भारी डिमांड है। अमेरिका से सोयाबीन का तेल आयात होता है।
एक नजर बढ़ी कीमत पर
2250 में मिलने वाला 15 किलो रिफाइंड का टीन युद्घ शुरू होने के बाद अचानक 2400 रुपए का हो गया। इसमें 1० रुपए लीटर की वृद्धि हो गई है। पाम आयल का टीन युद्ध से पहले 22०० रुपए का था। उसे अब 2380 से 2390 तक बेचा जा रहा है। सरसों का तेल 2500 रुपये टीन था। वह 2700 रुपए से ऊपर पहुंच गया है। वनस्पति घी का टीन 2200 से 2350 रुपए पहुंच गया है। खाद्य तेल के बाजार के रूप में कानपुर भारत में दूसरे नंबर पर है।
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