रूस-यूक्रेन की जंग से प्रभावित हुआ बाजार, पाम ऑयल के दामों में हुई बढ़ोत्तरी

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लखनऊ। रूस-यूक्रेन के बीच लड़ाई छिड़ने के बाद खाद्य वस्तुओं से लेकर कई मेटल तक के वैश्विक दाम में बढ़ोतरी हो रही है। राजधानी लखनऊ भी इसके प्रभाव से अछूता नहीं रहा है। युद्ध के कारण खाद्य तेलों के दामों में भी इजाफा हुआ है। गुरुवार को फुटकर बाजार में रिफाइंड तेल 10 रुपये और …

लखनऊ। रूस-यूक्रेन के बीच लड़ाई छिड़ने के बाद खाद्य वस्तुओं से लेकर कई मेटल तक के वैश्विक दाम में बढ़ोतरी हो रही है। राजधानी लखनऊ भी इसके प्रभाव से अछूता नहीं रहा है। युद्ध के कारण खाद्य तेलों के दामों में भी इजाफा हुआ है। गुरुवार को फुटकर बाजार में रिफाइंड तेल 10 रुपये और सरसो का तेल पांच रुपये प्रतिलीटर महंगा हो गया। तेल कारोबारियों के मुताबिक भारत सबसे अधिक सनफ्लावर खाद्य तेल का आयात यूक्रेन से करता है और सनफ्लावर ऑयल का आयात प्रभावित होने से पाम ऑयल के दाम में भी तेजी आ गई है।

डालीगंज के थोक कारोबारी अनुराग साहू ने बताया कि रिफाइंड तेल 145 रुपये से बढ़कर 155 रुपये प्रतिलीटर हो गया। वहीं सरसो का तेल 165-170 रुपये बढ़कर 170-175 रुपये प्रतिलीटर तक पहुंच गया। बता दें कि वर्ष 2021 में भारत ने 18.9 लाख टन सनफ्लावर खाद्य तेल का आयात किया था और इस आयात में 74 फीसदी हिस्सेदारी यूक्रेन की थी। फतेहगंज के तेल कारोबारी मुकेश अग्रवाल ने बताया कि 15 लीटर सरसो तेल का टिन 2520 से 2720 रुपये हो गया।

इसके अलावा रिफाइंड ऑयल 2080 रुपये से 2420 रुपये प्रति 15 लीटर टिन हो गया। इसी क्रम में कानपुर के तेल व्यापारी रवि गुप्ता का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय संकट होने पर खाद्य तेलों पर भी असर पड़ा है। खाद्य पदार्थों में दस रुपये प्रति लीटर तक बढोत्तरी हुई है। उन्होंने बताया कि गुरुवार को मार्केट खुलने पर अनुमान लगाया जा रहा था कि इंडोनेशिया, मलेशिया सहित अन्य देशों से पाम आयल, रिफाइंड आयल आयात किया जाता है। युद्ध का असर बाजार पर पड़ा है।

रवि का कहना है कि देश में जो पाम ऑयल आयात होता है, उसमें अधिकतर हिस्सेदारी क्रूड पाम ऑयल की होती है और क्रूड पाम ऑयल को इंपोर्ट करके घरेलू इंडस्ट्री उसको रिफाइन करती है। जिसके बाद पैकिंग करके मार्केट में बेची जाती हैं। इसी क्रम में भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश महामंत्री ज्ञानेश मिश्रा ने बताया कि देश में खाने के तेल में 60 प्रतिशत बाहरी देशों पर निर्भरता है। यानी 60 प्रतिशत आयात करना पड़ता है।

इसमें भी 60 प्रतिशत से ज्यादा पाम आयल होता है। खाने के तेल के दाम घटाने के लिए आयात शुल्क कम किया जाता है। फुटकर में भी तेल के दाम कम हो जाते हैं। यूक्रेन पर रूस के हमले का असर खाने के तेलों के दाम पर निश्चित पड़ा है। पेट्रोल एवं डीजल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ओम शंकर मिश्रा का कहना है कि क्रूड ऑयल के दाम बेतहाशा बढ़ने की उम्मीद है। मतदान बाद ही युद्ध के चलते देश में पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ेंगे।

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