5 महीने की बच्ची को इलाज के लिए 18 करोड़ की दरकार, पिता की याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब 

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कोच्चि। केरल उच्च न्यायालय ने ‘स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी’ (एसएमए) रोग से पीड़ित पांच माह की एक बच्ची के लिए मेडिकल सहायता का अनुरोध करने वाली उसके पिता की याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि इस रोग के इलाज में दवा पर करीब 18 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। …

कोच्चि। केरल उच्च न्यायालय ने ‘स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी’ (एसएमए) रोग से पीड़ित पांच माह की एक बच्ची के लिए मेडिकल सहायता का अनुरोध करने वाली उसके पिता की याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि इस रोग के इलाज में दवा पर करीब 18 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

एसएमए, आनुवंशिक रोग है, जिसमें रोगी अपनी मांसपेशियों की गतिविधियां नहीं कर पाता क्योंकि रीढ़ की हड्डी और मस्तिस्क में उसका तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता है। न्यायमूर्ति एन. नागरेश ने सरकारी वकील को निर्देश प्राप्त करने को कहा और याचिका को 28 फरवरी के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

अधिवक्ता मानस पी. हमीद के मार्फत दायर याचिका में बच्ची के पिता ने कहा है कि उनकी बेटी की जान ‘ओनासेमनोजीन एबेपारवोवेक (जोलगेंस्मा)’ दवा से ही बच सकती है, जिस पर करीब 18 करोड़ रुपये का खर्च आएगा और इसे अमेरिका से मंगाना होगा। याचिका में कहा गया है कि सरकार जीवन रक्षक दवा उपलब्ध कराने और इसे बच्ची को मुहैया करने के लिए कर्तव्यबद्ध हैं।

इस याचिका के मुताबिक कल्लियास्सेरी के विधायक एम विजिन की अध्यक्षता वाली एक समिति ने इस रोग से पीड़ित एक बच्चे के इलाज के लिए लोगों से चंदे के तौर पर करीब 46 करोड़ रुपये जुटाए। वहीं, पेरीनथलमन्ना के विधायक मंजलम कुझी अली के नेतृत्व वाली एक समिति ने 16.5 करोड़ रुपये इफरान नाम के बच्चे के इलाज के लिए जुटाए, लेकिन इलाज से पहले ही उसकी मौत हो गई। याचिका के जरिए सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि इन कोष में बची हुई राशि का उपयोग याचिकाकर्ता की बच्ची के लिए दवा खरीदने में किया जाए।

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