अयोध्या: दवा व्यापारियों की गले की हड्डी बन गया फरमान, अब करोड़ों की दवाएं हो गईं डंप
अयोध्या। कोरोना की तीसरी लहर का संक्रमण लगमग समाप्त होने की ओर है। तीसरी लहर में इस बार सबसे ज्यादा परेशान दवा व्यापारी हुए हैं। मेडिकल स्टोर व थोक दवा व्यापारियों के पास कोविड में उपयोग होने वाली करोड़ों रुपये की दवाएं बिक्री न होने के चलते डंप होकर रह गई। वजह यह है कि …
अयोध्या। कोरोना की तीसरी लहर का संक्रमण लगमग समाप्त होने की ओर है। तीसरी लहर में इस बार सबसे ज्यादा परेशान दवा व्यापारी हुए हैं। मेडिकल स्टोर व थोक दवा व्यापारियों के पास कोविड में उपयोग होने वाली करोड़ों रुपये की दवाएं बिक्री न होने के चलते डंप होकर रह गई।
वजह यह है कि सरकार ने तीसरी लहर को लेकर दवा व्यापारियों को कोविड में काम आने वाली दवाओं का स्टाक मेंटेन रखने का निर्देश दिया था। इसके चलते बाजार में पैरासीटामोल, आईबर माइस्टीन, जिंक सल्फेट, डाक्सी साइकलीन, एजेर्थोमाइसीन, मेथाइलविटनीसेलोन, बच्चों के लिए मल्टी विटामिन, विटामिन सी, कैल्शियम की दवा का प्रयाप्त स्टाक भर लिया। नवंबर माह से भरे इस स्टाक को पांच माह बीत जानें के बाद भी बिक्री नहीं हो सकी है। इनमे जिंक, मल्टीविटामिन, विटामिन सी कैल्शियम की एक प्रतिशत भी बिक्री नही हो सकी। इसके चलते अनुमान के अनुसार दो करोड़ से अधिक की दवा डंप हो गई है।
छलका दवा व्यापरियों का दर्द
नियांवा चौराहे पर मेडिकल स्टोर संचालित करने वाले संदीप का कहना है कि कोरोना में कारगर दवा की बिक्री न होने से लाखों रुपये की दवा फंस कर रह गई है। जल्द ही इनकी एक्सपायरी डेट भी आ जायेगी। रिकाबगंज में मेडिकल स्टोर चलाने वाले पंकज गुप्ता का कहना है कि सरकार के आदेश पर कोरोना की दवा का स्टाक रखने पर सबसे अधिक छोटे दुकानदार परेशान हो रहे हैं।
इसके पीछे वजह है कि दवा डंप होने से पूंजी फस कर रह गई है। संतोष सेठ का कहना है। कोरोना काल में विटामिन सी और जिंक सहित तमाम दवाओं की बिक्री होती है। संक्रमण कम होने से अब इनके बिकने का चांस भी नही है। थोक काम करने वाले शरद मेहरोत्रा का कहना है कि किसी तरह से कोविड में कारगर दवा में शामिल पैरासिटामॉल, आईबर माइसीन, एजर्थोमाइसीन दवाओ को बेचा जा रहा है। सभी के पास स्टाक पूरा होने के चलते इनकी मांग भी नहीं है।
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