लखनऊ: उन्नाव में कछुआ तस्करी को रोकने के लिए गुप्त रूप से सर्च अभियान चलायेगा वन विभाग

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लखनऊ। प्रदेश में कछुओं की तस्करी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। परेशानी की बात तो ये है कि अब सहारनपुर और लखीमपुर-खीरी की बजाय राजधानी और आसपास के जिले कछुओं की तस्करी के हब बन रहे हैं। बीते मामलों को देखते हुए वन विभाग अब लखनऊ से सटे उन्नाव जिले में कछुओं की …

लखनऊ। प्रदेश में कछुओं की तस्करी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। परेशानी की बात तो ये है कि अब सहारनपुर और लखीमपुर-खीरी की बजाय राजधानी और आसपास के जिले कछुओं की तस्करी के हब बन रहे हैं। बीते मामलों को देखते हुए वन विभाग अब लखनऊ से सटे उन्नाव जिले में कछुओं की तस्करी को लेकर गुप्त रूप से सर्च अभियान चलाने की तैयारी में है।

एक माह में तीन बड़े मामले

एसटीएफ और वन विभाग ने पिछले एक माह में कछुओं की तस्करी के तीन बड़े गिरोहों का भंडाफोड़ किया है। इनमें से गत 14 फरवरी को लखनऊ के गोसाईगंज, 29 जनवरी को हरदोई के बालामऊ रेलवे क्रॉसिंग और 23 जनवरी को कानपुर देहात में तस्करी कर ले जाये जा रहे कछुओं की बड़ी खेप पकड़ी गई थी।

उन्नाव से ऑपरेट कर रहा बड़ा अंतर्राज्यीय तस्कर

पिछले तीनों मामलों में पूछताछ में पता चला है कि तस्करों ने उन्नाव से ही कछुओं की खेप उठाई थी। जिसे सहारनपुर, लुधियाना व कोलकाता पहुंचाने के ऑर्डर थे। इससे पता चला है कि उन्नाव में कछुओं का अंतर्राज्यीय सप्लायर ऑपरेट कर रहा है।

उन्नाव में तालाबों में गैरकानूनी तरीके से पाले जा रहे दुर्लभ प्रजाति के कछुए : डीएफओ

लखनऊ के डीएफओ रवि सिंह ने बताया कि भारत में कछुओं की 25 प्रजातियां पाई जाती है। जिनमें से 14 प्रजातियों सिर्फ लखनऊ में ही पाई जाती हैं। हैरानी की बात ये है कि इनमें से 11 प्रजातियों की तस्करी होती है। पर इन दिनों उन्नाव जिले से सर्वाधिक रूप से तस्करी के मामले सामने आ रहे हैं। उन्नाव से इंडियन फ्लैपसेल टॉरट्वाइज व सॉफ्टसेल टॉरट्वाइज प्रजाति के कछुओं की तस्करी की जा रही है।

डीएफओ ने बताया कि वैसे तो प्रदेश में गंगा, यमुना, गोमती, चम्बल और घाघरा नदी में कछुए पाये जाते हैं। पर इंडियन फ्लैपसेल टॉरट्वाइज व सॉफ्टसेल टॉरट्वाइज को सर्वाधिक गंगा और गोमती नदी में पाया जाता है। यही कारण है कि लखनऊ और आसपास के क्षेत्रों में इन दो प्रजाति के कछुओं की सर्वाधिक तस्करी हो रही है।

दरअसल नदियों से छोटे आकार के कछुओं को तालाबों में पाला जाता है और समुचित आकार होने पर उन्हें तस्कारों को ऊंचे दामों में बेच दिया जाता है। दुर्लभ प्रजाति के कछुओं का व्यापाक मात्रा में पालन गैरकानूनी है, इसीलिए पुलिस के सहयोग से उन्नाव में सर्च अभियान चलाकर पता लगाया जायेगा कि कहां-कहां तालाबों में कछुओं का पालन किया जा रहा है।

शक्तिवर्धक दवाओं और कंघे बनाने के लिए पाले जा रहे कछुए

कछुओं की तस्करी से तस्करों को करोड़ा रुपये का लाभ हो रहा है। दरअसल कछुओं की कैलपी (खोल) को सुखाकर व मांस निकालकर शक्तिवर्धक दवाएं बनाने और कंघें, ब्रोच, हेयरक्लिप आदि बनाने के लिए बेचा जा रहा है।

यूपी से लेकर चीन तक फैला है नेटवर्क

कछुओं की तस्करी का नेटवर्क उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल व बांग्लादेश से होते हुए चीन तक फैला हुआ है। मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के अंतर्राज्यीय तस्कर पश्चिम बंगाल में बैठे अंतर्राष्ट्रीय तस्करों को कछुए सप्लाई करते हैं। जिसे पश्चिम बंगाल से समुंदर के रास्ते बांग्लादेश पहुंचाया जाता है। इसके बाद बांग्लादेश से चीन, हांगकांग, मलेशिया, जापान आदि देशों को बेचा जाता है।

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