स्मृति शेष: सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने गढ़वाली गीत गाकर उत्तराखंडी सिनेमा को कर दिया अमर

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हल्द्वानी, अमृत विचार। मन भरमेगे मेरी सुध बुध ख्वेगे, सुण तेरी बांसुरी सुण…। साल 1990 में रिलीज हुई गढ़वाली फिल्म रैबार का यह गीत उस दिन अमर हो गया था, जब सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने इसे आवाज दी थी। उनकी गायकी ने उत्तराखंड सिनेमा को सदा सदा के लिए अमर कर दिया। खास बात …

हल्द्वानी, अमृत विचार। मन भरमेगे मेरी सुध बुध ख्वेगे, सुण तेरी बांसुरी सुण…। साल 1990 में रिलीज हुई गढ़वाली फिल्म रैबार का यह गीत उस दिन अमर हो गया था, जब सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने इसे आवाज दी थी। उनकी गायकी ने उत्तराखंड सिनेमा को सदा सदा के लिए अमर कर दिया। खास बात ये है कि लता मंगेशकर ने इस गीत को गाने के लिए कोई फीस नहीं ली और पहले इस गीत के मर्म को समझा, फिर जाकर इस गीत की रिकॉर्डिंग की।

लता मंगेशकर के जाने से पूरे उत्तराखंड में शोक की लहर है। लता मंगेशकर ने पलायन पर बनी सुपरहिट गढ़वाली फिल्म रैबार के लिए साल 1988 में गढ़वाली गीत मन भरमैगे की रिकॉर्डिंग की थी। तब फिल्म निर्माता किशन पटेल के आग्रह करने के बावजूद भी उन्होंने इस गीत को गाने की कोई फीस नहीं ली, बल्कि इसे एक एनजीओ को डोनेट करवा दिया था। दो साल बाद जब यह फिल्म रिलीज हुई तो कई लोग केवल इस गीत को सुनने के लिए ही सिनेमाघरों में पहुंचे। नई पीढ़ी तक लता के गाए गढ़वाली गीत को पहुंचाने के लिए पांच साल पहले हिमालयन फिल्म ने भी इस गीत को नए लोक कलाकारों के साथ फिल्माया और यूट्यूब में रिलीज किया। जिसे 51 लाख से भी ज्यादा लोग देख चुके हैं। कहा जाता है कि विशाल हृदय की स्वामिनी लता ही ऐसा कर सकतीं हैं।

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