बरेली: चुनावी मुद्दा नहीं बन पाई सरकारी कैंसर अस्पताल की स्थापना
बरेली,अमृत विचार। दो सालों से पूरा देश कोरोना के संकट से जूझ रहा है। इससे निजात पाने के लिए सरकार की ओर से कम समय में तमाम प्रयास किए गए, जिससे कुछ हद तक संक्रमण दर में रोकथाम हुई, लेकिन संक्रमण के इतर कुछ अन्य बीमारियां ऐसी भी हैं जो मरीजों के लिए काल साबित …
बरेली,अमृत विचार। दो सालों से पूरा देश कोरोना के संकट से जूझ रहा है। इससे निजात पाने के लिए सरकार की ओर से कम समय में तमाम प्रयास किए गए, जिससे कुछ हद तक संक्रमण दर में रोकथाम हुई, लेकिन संक्रमण के इतर कुछ अन्य बीमारियां ऐसी भी हैं जो मरीजों के लिए काल साबित हो रही हैं। इसमें कैंसर प्रमुख है।
हैरत की बात यह है कि पूरे रुहेलखंड क्षेत्र में कैंसर रोगियों के इलाज के लिए कोई भी सरकारी अस्पताल नहीं है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। तमाम राजनैतिक पार्टियों व उनके प्रत्याशियों ने दावे कर जनता को लुभाने का प्रयास शुरू कर दिया है, लेकिन उनके चुनावी एजेंडे में सरकारी कैंसर अस्पताल स्थापना का मुद्दा नहीं है।
चार निजी अस्पतालों में मिलता है इलाज
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार बरेली मंडल के चारों जिलों में महज चार निजी अस्पतालों में कैंसर रोगियों को उपचार मिलता है। शासन की ओर से इन मरीजों को राहत देने के लिए आष्युमान कार्ड धारकों के लिए नि:शुल्क उपचार की सुविधा भी दी गई है, लेकिन कैंसर के मरीजों के लिए बरेली में चार निजी अस्पतालों में महज 190 बेड ही उपलब्ध हैं।
इन चार निजी अस्पतालों में बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बदायूं के साथ ही मुरादाबाद मंडल व उत्तराखंड के मरीजों का उपचार किया जाता है। वहीं, 1 साल में 3186 कैंसर रोगी उपचारित हुए हैं।
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