मुरादाबाद : सपा उम्मीदवारों को चुनौतियों से घेरा

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आशुतोष मिश्र/अमृत विचार। समाजवादी गढ़ में सपा के विजय अभियान को झटका लग सकता है। इसके पीछे पार्टी में मचा तूफान बड़ा कारण माना जा रहा है। पार्टी ने विधान सभा चुनाव में तीन नए चेहरों को मैदान में उतारा है, जबकि दो विधायकों ने टिकट कटने के बाद दूसरे दलों से ताल ठोंक दी …

आशुतोष मिश्र/अमृत विचार। समाजवादी गढ़ में सपा के विजय अभियान को झटका लग सकता है। इसके पीछे पार्टी में मचा तूफान बड़ा कारण माना जा रहा है। पार्टी ने विधान सभा चुनाव में तीन नए चेहरों को मैदान में उतारा है, जबकि दो विधायकों ने टिकट कटने के बाद दूसरे दलों से ताल ठोंक दी है। कुंदरकी और मुरादाबाद देहात में पार्टी दो हिस्से में बंटती नजर आ रही है।

वर्ष 2017 के चुनाव में पार्टी ने छह विधानसभा सीटों में चार क्षेत्रों से जीत दर्ज की थी, जबकि मुरादाबाद शहर और कांठ के उम्मीदवार कांटे की टक्कर में पराजित हो गए थे। अबकी बार पार्टी ने पूरे दमखम से मैदान मारने का दावा किया है। लेकिन, ऐन वक्त मुरादाबाद देहात और कुंदरकी के उम्मीदवार बदल दिए गए हैं, जबकि कांठ से उम्मीदवार बनाए गए कमाल अख्तर राजनीति के मझे हुए खिलाड़ी हैं। उन्हें यहां से उतारकर पार्टी ने बड़ी लड़ाई का संकेत दिया है। वहीं मुरादाबाद देहात से मीट कारोबारी हाजी नासिर को मौका मिला है।

नासिर बसपा उम्मीदवार के रूप में मुरादाबाद देहात और कांठ से भाग्य आजमा चुके हैं। लेकिन, अभी उन्हें सफलता नहीं मिली है। उधर, यहां से सपा विधायक हाजी इकराम कुरैशी ने टिकट न मिलने से आक्रोशित होकर कांग्रेस का दामन थाम लिया है। ठाकुरद्वारा में विधायक नवाब जान खान और बिलारी के एमएलए मोहम्मद फहीम पर पार्टी ने फिर भरोसा जताया है, जबकि कुंदरकी में युवा चेहरा जिया उर रहमान बर्क को चेहरा बनाया है। यहां विधायक हाजी रिजवान ने टिकट न मिलने की स्थिति में बसपा का दामन थाम लिया है।

सपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल हाजी रिजवान वर्ष 1996 में पहली बार विधायक चुने गए थे। साल 2012 और 2017 में उन्होंने विधायकी बरकरार रखी। सपा से टिकट कटने की नाराजगी में विद्रोह पर उतारू हाजी रिजवान बसपा उम्मीदवार के रूप में सपा उम्मीदवार जिया उर रहमान के राह में कांटे बिछाएंगे। शहर सीट पर पार्टी के हाजी यूसुफ अंसारी फिर मैदान में है। वर्ष 2017 के चुनाव में युसूफ ने कांटे की टक्कर दी। लेकिन, नगर निगम चुनाव में उनका प्रदर्शन शर्मनाक रहा।

राजनीतिक समीक्षक मानते हैं कि मुरादाबाद की धरती सपा नेतृत्व को अंदरूनी चुनौती दे सकती है। टिकट वितरण में उठा असंतोष तथा दो विधायकों के दूसरे दल से ताल ठोकने की वजह से यहां पार्टी का समीकरण बिगड़ सकता है। राजनीति में हर बात सही और कुछ भी संभव का सिद्धांत चलता है। इस आधार पर असल फैसला तो 10 मार्च को ही सबके सामने आएगा। लेकिन, चौपाल पर सपा की अंदरूनी जंग के खूब चर्चे हैं। माना जा रहा है कि पार्टी टिकट के असंतोष के उभरे स्वर का शिकार हो सकती है, जबकि जिलाध्यक्ष डीपी यादव दम के साथ जीत का दावा करते हैं।

कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर जनता की अदालत में हूं : हाजी इकराम कुरैशी
सपा सरकार में राज्यमंत्री, जिलाध्यक्ष और वर्ष 2017 से विधायक के रूप में जनता की सेवा की है। अब कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में मुरादाबाद देहात के उम्मीदवार के रूप में जनता की अदालत में जा रहा हूं। यह बात देहात विधायक हाजी इकराम कुरैशी ने कही। कांग्रेस ने उन्हें क्षेत्र से प्रत्याशी बनाए गए नदीम अंसारी की जगह उम्मीदवार घोषित किया है। संगठन के राष्ट्रीय महासचिव मुकुल वासनिक की ओर से जारी पत्र का हवाला देकर इकराम ने अपनी उम्मीदवारी का विवरण गिनाया। बोले- हमने समाज के लिए कार्य किया है। सपा ने इसका मोल नहीं समझा। जनता हमारी मेहनत का परिणाम देगी।

उत्साहित लोगों ने बढ़ाया हौसला, कीमत चुका दूंगा : हाजी रिजवान
कुंदरकी के बागी सपा विधायक हाजी रिजवान को अपनी मेहनत और लोगों के हौसले पर भरोसा है। पार्टी ने टिकट नहीं मिलने की हालत में इन्होंने बसपा उम्मीदवार के रूप में ताल ठोंक दी है। कहते हैं कि हमने क्षेत्र के लोगों की सेवा की है। अपने क्षेत्र के लिए दिन रात एक किए रहता हूं। वर्ष 1996 में पहला चुनाव लड़ा और विधायक बन गया। वर्ष 2007 में मेरे खिलाफ साजिश रची गई। मगर क्षेत्र की जनता का प्यार बरकरार रहा। सपा के खिलाफ जन विद्रोह में साल 2017 में भी विधायकी जीती। अब बसपा ने मौका दिया है। मेरे लिए जनता सब कुछ है और परिणाम भी चौंकाने वाला आएगा।

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