बरेली: बाबा साहब आंबेडकर का मिशन पूरा करने को पदयात्रा
बरेली,अमृत विचार। गुरुवार को शहर की सड़कों पर केवल मोजे पहने एक व्यक्ति बाबा साहब अंबेडकर के विचारों और उनकी तस्वीरों से पटा एक ठेला खींचता दिखा तो हर किसी की नजर उसकी तरफ ही दौड़ गई। ठेले पर लगे बैनर पर लिखा था सूरज को क्या पता चांद क्या होता है, जमीं को क्या …
बरेली,अमृत विचार। गुरुवार को शहर की सड़कों पर केवल मोजे पहने एक व्यक्ति बाबा साहब अंबेडकर के विचारों और उनकी तस्वीरों से पटा एक ठेला खींचता दिखा तो हर किसी की नजर उसकी तरफ ही दौड़ गई। ठेले पर लगे बैनर पर लिखा था सूरज को क्या पता चांद क्या होता है, जमीं को क्या पता आसमान क्या होता है।
जो दूसरों की बदौलत व गुलामी की जंजीरों में जिए उन्हें क्या पता संविधान क्या होता है। अपना नाम परमेश्वर बौद्ध बताने वाले इस शख्स के मुताबिक वह बाबा साहब के मिशन को जन-जन तक पहुंचाने के लिए पद यात्रा कर रहे हैं। मौजूदा वक्त में वह दिल्ली संसद भवन से वापस लौट रहे हैं।
बस्ती जिले के परासडीह गौर गांव निवासी परमेश्वर बौद्ध के मुताबिक उन्होंने बीते साल नवंबर महीने में अपनी पदयात्रा शुरू की थी। बस्ती से अयोध्या, बाराबंकी, लखनऊ, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर, बरेली, रामपुर, मुरादाबाद, हापुड़, गाजियाबाद, होते हुए दिल्ली संसद भवन पहुंचे और अब वापस अपने गांव जा रहे हैं।
अपने मिशन की शुरूआत के बारे में उन्होनें बताया कि साल 2010 में वह परासडीह गांव के प्रधान बने लेकिन सिस्टम से हार गए। गांव में आरटीआई के जरिए राशन कार्डों के फर्जीबाड़े का खुलासा किया तो उन्हे प्रताड़ित किया गया। वह कहते हैं कि हमारा समाज दकियानूसी विचारधारा और अंधश्रद्धा के कारण पीछे छूट रहा है।
यही कारण है कि वह बहुजन जागृति यात्रा निकालकर समाज को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। वह कहते हैं कि गरीबी से ज्यादा जातिवाद खटकता है। समस्त मानव जाति एक समान, यही बाबा साहब की विचारधारा है और इसी को वह आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। इससे पहले भी वह तीन बार पद यात्राएं कर चुके हैं।
उनके ठेले पर ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई फुले, फातिमा शेख, अहिल्याबाई होल्कलर, बिरसा मुंडा, शाहूजी महाराज जैसे महापुरुषों की तस्वीरें भी लगी हैं।
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