स्मृति शेष: लखनऊ की ड्योढ़ी सूनी कर गए बिरजू महाराज…

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लखनऊ। कालका बिंदादीन घराने की गौरवशाली परंपरा की महक दुनिया भर में फैलाने वाले कत्थक सरताज पद्म विभूषण बिरजू महाराज रविवार की रात अपने लाखों प्रशंसकों को अकेला छोड़ कर अनंत में विलीन हो गए। दिल्ली स्थित अपने आवास पर सबको स्तब्ध करते हुए वह नई भंगिमा में लीन हो गए, लखनऊ की ड्योढ़ी सूनी …

लखनऊ। कालका बिंदादीन घराने की गौरवशाली परंपरा की महक दुनिया भर में फैलाने वाले कत्थक सरताज पद्म विभूषण बिरजू महाराज रविवार की रात अपने लाखों प्रशंसकों को अकेला छोड़ कर अनंत में विलीन हो गए। दिल्ली स्थित अपने आवास पर सबको स्तब्ध करते हुए वह नई भंगिमा में लीन हो गए, लखनऊ की ड्योढ़ी सूनी कर दूसरी दुनिया में चले गए।

बृजमोहन मिश्र (बिरजू महाराज) का जन्म 4 फरवरी 1938 को लखनऊ के कथक गुरु अच्छन महाराज के घर हुआ था। बिरजू महाराज सन् 1992 से 96 तक वह संगीत नाट्य अकादमी के अध्यक्ष रहे। वर्ष 1985 में उन्हें संगीत नाट्य अकादमी के सबसे बड़े पुरस्कार रत्न सदस्या से सम्मानित किया गया।

सरल व्यक्तित्व के व्यक्ति थे बिरजू महाराज

संगीत नाट्य अकादमी सचिव तरूण राज ने उनके साथ बिताये हुये कुछ पल साझा करते हुए कहा कि वह जिस ऊंचाई के वह कलाकार थे, उससे कहीं ज्यादा सरल व्यक्तित्व के मालिक। बिरजू महाराज जैसा सरल इंसान मैंने आज तक नही देखा। दो माह पूर्व 24 नवंबर 2021 को लखनऊ में अपने लाल बिरजू को संगीत नाट्य अकादमी में सम्मानित किया था। रेनू शर्मा आर कुमकुम धर जैसी प्रसिद्ध नृतिकाएं उनकी शिष्या रहीं हैं।

लखनऊ के कथक को वैश्विक पहचान दिलाने का था सपना

नृतिका रेनू शर्मा बतातीं हैं कि बिरजू महाराज का जाना लखनऊ के लिए और कत्थक के लिए अपूर्णनीय क्षति है। चार पीढ़ियों से मेरे परिवार का उनके साथ रिश्ता रहा है। वर्ष 1970 से मैं उनकी शिष्या रही हूं कई बार उनके साथ वर्कशॉप करने का अवसर मिला। ड्योढ़ी में ही उन्होंने मुझे कत्थक सिखाया था। अभी मुंबई में भी मैं ही उनका सारा कामकाज संभालती हूं। महाराज हमेशा से लखनऊ के कथक को दुनिया भर में बढ़ाना चाहते थे उनके जाने से यह सपना अधूरा रह जाएगा।

मैंने अपना गुरु भाई खो दिया: कुमकुम धर

मेरे गुरू लच्छू महाराज के भतीजे थे बिरजू महाराज । इस लिहाज से वह मुझे गुरू बहन मानते थे। उनका दुनिया से इस तरह जाना अविश्वसनीय है। वो हमेशा कहते थे कि तुम्हारा अधिकार बनता है मुझसे कुछ भी मदद लेने का तुम मेरे चाचा की शिष्या रही हो। संगीत नाट्क अकादमी में एक बार उनके साथ वर्कशॉप करने का मौका मिला था।

महराज ने कथक का आधुनिकीकरण किया: पूर्णिमा

बिरजू महाराज की शिष्या नृतिका पूर्णिमा पाण्डेय ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा की मेरे गुरु ने बिरजू महाराज के पिता से कथक सीखा था और मुझे भी कई बार उनके साथ काम करने का प्रोजेक्ट बनाने का मौका मिला। मुझे कथक जगत में उंगली पकड़कर आगे बढ़ाने में बिरजू महाराज का बड़ा योगदान है। कथक का आधुनिकीकरण करने का पूरा श्रेय उनको ही जाता है। उनका जाना पूरे विश्वभर में अपूर्तिनीय क्षति है।

बिरजू महाराज का बॉलीवुड से भी रहा है नाता…

बिरजू महाराज का बालीवुड से भी गहरा नाता रहा है। उन्होंने फिल्म उमराव जान, डेढ़ इश्किया, बाजीराव मस्तानी, देवदास जैसी फिल्मों में कोरियोग्राफर रह चुके हैं। दक्षिण फिल्मों के सुपर स्टार कमल हासन को विश्वरूपम फिल्म में बिरजू महाराज ने अपनी उंगलियों के इशारे पर नचाया था। इस कोरियोग्राफी के लिए उनको राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किय गया था। वर्ष 2016 में फिल्म बाजीराव-मस्तानी के गाने “मोहे रंग दो रंग के लाल” की कोरियोग्राफी के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था।

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