बरेली: कांग्रेस की नई राजनीति के नए चेहरे

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आनंद सिंह, बरेली, अमृत विचार। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने गुरुवार को जिन 125 उम्मीदवारों की सूची जारी की, उनमें 50 महिलाएं हैं। इन 50 महिलाओं में से अधिकांश वो हैं, जिन्हें चुनाव लड़ने का अनुभव नहीं रहा। कुछ महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने पहले भी चुनाव लड़ा है। सूची में दर्ज नामों में अधिकांश …

आनंद सिंह, बरेली, अमृत विचार। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने गुरुवार को जिन 125 उम्मीदवारों की सूची जारी की, उनमें 50 महिलाएं हैं। इन 50 महिलाओं में से अधिकांश वो हैं, जिन्हें चुनाव लड़ने का अनुभव नहीं रहा। कुछ महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने पहले भी चुनाव लड़ा है। सूची में दर्ज नामों में अधिकांश वो महिलाएं हैं जो जीवन के असली संघर्ष को जीती रही हैं, जिन्होंने खुद को तपाया और सच तो यह है कि इस किस्म के चुनाव से उनकी प्रतिभा का आकलन हो भी नहीं सकता। जो जीवन-संग्राम के रण में लड़कर विजयी हुई हों, उन्हें ही कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया और यह सही है कि प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक नई राजनीति की शुरुआत तो कर ही दी है। यह राजनीतिक शुरुआत एक तरह से भविष्य के लिए कांग्रेस का निवेश है जिसका रिटर्न कोई दो चुनावों बाद कांग्रेस को उच्च ब्याज दर के साथ मिलेगा।

कांग्रेस के पास तमाम ऐसे लोग थे, जिन्हें वह चुनाव लड़ा सकती थी। लेकिन, प्रियंका ने ऐसा नहीं किया। प्रियंका ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा भीः हम उन लोगों को राजनीति में लेकर आई हैं, जिन्होंने सरकार के जुल्म सहे हैं। अब हमने उन्हें लड़ने के लिए अपना मंच दिया है। जिस सिस्टम से वह लड़ीं, उसी सिस्टम पर हुकूमत करने के लिए हमने उन्हें चुना है। मुझे यकीन है कि वे लड़ेगीं और जीतेंगी। दरअसल, यह समझना बेहद जरूरी है कि इस बार बल्कि पहली बार जिन 50 महिलाओं को 40 फीसद आरक्षण के तहत प्रियंका ने मैदान-ए-जंग में उतारा है, उनमें से अधिकांश हैं कौन। ये नए चेहरे आए कहां से।

प्रियंका ने उन्नाव की उस लड़की की मां को अपना उम्मीदवार बनाया, जिस लड़की के साथ बलात्कार हुआ था। उसकी मां ने जबरदस्त संघर्ष किया। उस संघर्ष की कहानी को कई बार प्रियंका सुन चुकी हैं, रो चुकी हैं, सांत्वना दे चुकी हैं। और अब उन्होंने उस महिला को टिकट दे दिया है कि जाओ, लड़ो। हम सब तुम्हारे साथ हैं। लड़ाई का परिणाम किसी को पता नहीं पर यह तय है कि एक लड़ाकू उम्मीदवार जब न्याय के लिए संघर्ष करती है तो कई बार परिणाम बदल भी जाते हैं।
प्रियंका ने उस लड़की की मां को कांग्रेस की प्रत्याशी बनाया, जिसने सत्ताधारी दल के बलात्कारी विधायक के खिलाफ न्याय पाने के लिए संघर्ष किया। यह संघर्ष बदस्तूर जारी है।

शाहजहांपुर की एक आशा वर्कर, पूनम पांडेय को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है। यह वही पूनम हैं, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभा में जा पहुंची थीं और जिन्होंने अपना हक मांगा था। ऐसी अनेक संघर्षशील महिलाएं हैं जिन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया है। ऐसे अनेक संघर्षशील युवा हैं, जिन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया है। 5 साल के सरकारी तंत्र में जो एंटी इन्कांबेंसी है, वह भी इस सूची को देख कर समझ में आ जाता है।

प्रियंका को मालूम है कि उनके उम्मीदवारों के पास न धन है, न चिकना-चुपड़ा चेहरा, न समर्थकों की बहुत बड़ी फौज है। इसके बावजूद वह अपने जीवन में संघर्ष कर रहे, एक तरह से रीयल हीरोज या रीयल विक्टीम्स को अगर कांग्रेस के बैनर तले चुनाव लड़वा रही हैं तो इसमें भारी जोखिम है। बाजी पलट भी सकती है। पर, जो हारी हुई बाजी को भी पलटने का माद्दा रखे, बाजीगर उसे ही कहते हैं। प्रियंका ने कई राजनीतिक पंडितों की मंशा के विपरीत जाकर इस सूची को फाइनल किया है। अब देखना यह होगा कि आने वाले 10 मार्च को ऊंट किस करवट बैठता है।

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