बरेली: चित्रकला प्रदर्शनी में कैनवास पर उकेरे रामायण के चरित्र

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बरेली, अमृत विचार। बरेली आर्ट सोसाइटी और चित्रकार संघ द्वारा संयुक्त रूप से चित्रकला की तीन दिवसीय प्रदर्शनी शुरू हो गई। विभिन्न चित्रकला शैलियों से सजे कैनवास और पेपर पर चित्रकारी को देखने के लिए प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। रविवार को युगवीणा लाइब्रेरी व आर्ट गैलरी में आयोजित प्रदर्शनी का पूर्व केंद्रीय मंत्री …

बरेली, अमृत विचार। बरेली आर्ट सोसाइटी और चित्रकार संघ द्वारा संयुक्त रूप से चित्रकला की तीन दिवसीय प्रदर्शनी शुरू हो गई। विभिन्न चित्रकला शैलियों से सजे कैनवास और पेपर पर चित्रकारी को देखने के लिए प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। रविवार को युगवीणा लाइब्रेरी व आर्ट गैलरी में आयोजित प्रदर्शनी का पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद संतोष गंगवार ने फीता काटकर उद्घाटन किया। चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन 28 दिसंबर तक किया जाएगा।

लाइब्रेरी में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक डा. महेंद्र कुमार सक्सेना द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स को प्रदर्शनी में शामिल किया गया। बसंती लोक कला शैली पर आधारित चित्रों की लोगों ने जमकर सराहना की। प्रदर्शनी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ, राष्ट्रपति रामनाथ कोविद समेत अनेक लोगों के चित्रों को शामिल किया गया है। इन पेंटिंग के अलावा प्रदर्शनी में लगी रामायण के लंका कांड पर आधारित पेंटिंग को लोगों ने खूब सराहा।

चित्रकार डा. सक्सेना ने बताया कि इस पेंटिंग के जरिए भगवान राम द्वारा कुंभकरण के वध को दिखाया गया है जिसमें राम द्वारा कुंभकरण को मारने के लिए प्रहार कर सबसे पहले उसके हाथ काट दिए, उसके बाद तीर के प्रहार से उसका गला काटा। फिर भी जीवित रहने की दशा में भगवान राम ने अनगिनत बाणों को कुंभकरण के मुंह में भेद कर उसका वध किया। इसके अलावा प्रदर्शनी में प्रकृति संचय और नारी की ममता पर आधारित अनेक चित्र लोगों के लिए चर्चा का विषय बने रहे।

कार्यक्रम में प्रदर्शित शहीद जनरल बिपिन रावत के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। डा़ महेंद्र कुमार सक्सेना ने बताया कि बसंती लोक कला और स्थानीय लोक कला को जोड़ कर पेंटिंग्स को नया रूप दिया गया है। ज्यादातर एक्रेलिक और जल रंगों का सहारा लिया गया है। कोरोना काल में समय का सदुपयोग कर पेंटिंग्स तैयार की गई है।

कार्यक्रम में युवा चित्रकार डा. अजय रघुवंशी, दिवाकर आर्य, गरिमा आर्य, परमानंद, उमेश कुमार, राजाराम, कनुप्रिया, पारस सक्सेना, श्रेया सक्सेना आदि सहित तमाम कला प्रेमी उपस्थित रहे।

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