हल्द्वानी में तीन दिवसीय हनी-बी अंतरराष्ट्रीय महोत्सव शुरू, 700 से ज्यादा मौनपालक हुए शामिल
हल्द्वानी, अमृत विचार। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के तहत रामपुर रोड पर एक होटल में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय हनी-बी महोत्सव और संगोष्ठी शुरू हो गई है। महोत्सव में मौन पालकों के उत्पादों को पहचान दिलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है। इस दौरान 15 वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों ने …
हल्द्वानी, अमृत विचार। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के तहत रामपुर रोड पर एक होटल में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय हनी-बी महोत्सव और संगोष्ठी शुरू हो गई है। महोत्सव में मौन पालकों के उत्पादों को पहचान दिलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है। इस दौरान 15 वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों ने मौन पालकों को तकनीकी अनुभव बताए।
शनिवार को कृषि व फार्मर वेलफेयर के सचिव डॉ. आर मीनाक्षी सुन्दरम ने महोत्सव में लगे स्टालों का निरीक्षण किया व मौन पालकों से बात की। उन्होंने संगोष्ठी में कहा कि मौन पालन प्रदेश में आजीविका का प्रमुख साधन बन सकता है। कहा कि बागवानी मिशन योजना के अन्तर्गत मौन वंश व मौन गृहों पर 40 प्रतिशत राज्य सहायता प्रदान की जा रही है। इसी प्रकार मधुमक्खी प्रजनन से मधुमक्खी के छत्ते के निर्माण और शहद निकालने वाले कंटेनर पर भी 40 प्रतिशत की राज्य सहायता प्रदान की जा रही है।
कहा कि राज्य में महत्वाकांक्षी योजना मधुग्राम के तहत प्रदेश के प्रत्येक जिले के एक न्याय पंचायत को मधुग्राम के रूप में विकसित किया जा रहा है। जिसमें जिले के एक न्याय पंचायत में सम्मलित ग्रामों के कृषकों को 80 प्रतिशत राज्य सहायता पर 500 मौनगृह, मौनवंश दिए जा रहे हैं। कहा कि राज्य सेक्टर की योजना के तहत मौनगृह, मौनवंशों के वितरण पर 800 रुपए प्रति मौनगृह, मौनवंशों और उद्यानों में पर-परागण हेतु रखे जाने वाले मौन वंशों पर 350 रूपये प्रति मौनवंश की दर से राज्य की ओर से सहायता की जा रही है। संगोष्ठी में कृषकों के साथ विचार विमर्श के लिए सत्र आयोजित किया गया जिसमें विभिन्न जिलों से आये किसानों व मधुपालकों ने विचार रखे। कार्यक्रम में 35 मधु उत्पादकों के स्टाल लगाये गये। मधु उत्पाद प्रतियोगिता में लगभग 150 प्रतिभागियों ने भाग लिया। साथ ही महोत्सव में 700 से ज्यादा मौन पालक शामिल हुए।

संगोष्ठी में उत्तराखंड के जिलसें के साथ ही मध्यप्रदेश, राजस्थान, तमिलनाड़ु, हिमाचल प्रदेश व अमेरिका, सिंगापुर व टर्की देशों के वैज्ञानिक शामिल हुए। इस दौरान उद्यान निदेशक डॉ. एचएस बाजवा, डीआरडीओ तीनपानी निदेशक डा. मधुबाला, ऑनलाइन माध्यम से अमेरिका से डा. प्रीतम सिंह, डा. सतीश कुमार शर्मा, सीबीआटीआई पुणे के सहायक निदेशक डा. लक्ष्मी राव, संयुक्त निदेशक उद्यान डा. एससी तिवारी, शिवालिक नेचुरल प्रोडक्ट के निदेशक अतर सिंह, अपर निदेशक उद्यान जगदीश, मुख्य उद्यान अधिकारी भावना जोशी, समन्वयक सुरभि पांडे, जिला उद्यान अधिकारी अल्मोड़ा एनके पांडे आदि थे।

