डिजिटल भुगतान

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देश में डिजिटल भुगतान प्रणाली कई वर्षों से मज़बूती के साथ विकसित हो रही है। भारत आज दुनिया के सबसे कुशल भुगतान बाजारों में से एक है, जो सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के विकास से प्रेरित है। ये विकास केंद्र सरकार की पहल और डिजिटल भुगतान इको-सिस्टम्स के विभिन्न दिग्गजों के नवाचारों का परिणाम हैं। …

देश में डिजिटल भुगतान प्रणाली कई वर्षों से मज़बूती के साथ विकसित हो रही है। भारत आज दुनिया के सबसे कुशल भुगतान बाजारों में से एक है, जो सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के विकास से प्रेरित है। ये विकास केंद्र सरकार की पहल और डिजिटल भुगतान इको-सिस्टम्स के विभिन्न दिग्गजों के नवाचारों का परिणाम हैं। सरकार द्वारा देश की अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाने का प्रयास किया जा रहा है। बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यूपीआई और रुपे डेबिट कार्ड के जरिए डिजिटल लेनदेन पर ‘शुल्क’ को वापस करने की मंजूरी दे दी है। इसके लिए एक साल में सरकार 1,300 करोड़ का निवेश करेगी, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग डिजिटल भुगतान की ओर बढ़ें।

सरकार मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) के तहत व्यक्तियों द्वारा कारोबारियों को किए गए डिजिटल भुगतान पर लगाए गए लेनदेन शुल्क को लौटाएगी। आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि नवंबर में 7.56 लाख करोड़ रुपये के 423 करोड़ डिजिटल लेनदेन हुए।
देश में पहल तो कई हुई हैं मगर तकनीकी बाधा, देरी एवं भ्रष्टाचार की वजह से वे अपेक्षित सफलता हासिल नहीं कर पाई हैं। इस पृष्ठभूमि में रुपे और यूपीआई की सफलता सराहनीय और कुछ हद तक हैरान करने वाली हैं। भारत के लोग शक्तिशाली कंपनियों वीजा, मास्टरकार्ड, पेपाल और अन्य वैश्विक वित्त-तकनीक (फिनटेक) कंपनियों के बीच रुपे और यूपीआई की सफलता पर गर्व की अनुभूति करते हैं। जबकि भुगतान सेवा प्रदाता कंपनी वीजा ने अमेरिका की सरकार से शिकायत की है कि भारत सरकार की ‘औपचारिक एवं अनौपचारिक’ नीतियां रुपे को ‘अनुचित लाभ’ पहुंचा रही है।

वीजा की प्रतिस्पर्धी कंपनी मास्टरकार्ड ने भी 2008 में आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रुपे को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रवाद का सहारा ले रहे हैं। मोदी ने 2018 में कहा था कि रुपे का इस्तेमाल करना एक तरह से देशभक्ति का प्रदर्शन करना है, क्योंकि सभी लोग देश की सुरक्षा के लिए सीमाओं पर नहीं जा सकते हैं। उन्होंने कहा था कि रुपे कार्ड का इस्तेमाल भी देश सेवा का एक माध्यम हो सकता है। दुनिया भर में यूपीआई की सफलता ने सबका ध्यान आकृष्ट किया है। इस समय देश में 69 करोड़ रुपे कार्ड हैं जिनके माध्यम से पिछले वर्ष 1.3 अरब लेनदेन हुए थे। दूसरी तरफ यूपीआई से अकेले पिछले महीने 4.2 अरब लेनदेन हुए हैं।

भुगतान के डिजिटल तरीकों से औपचारिक बैंकिंग एवं वित्तीय प्रणाली से बाहर और बैंक सुविधा से वंचित एवं हाशिए पर रहने वाली आबादी के लिए भुगतान की सुविधा सुलभ हो जाएगी। यह योजना फिनटेक (वित्त प्रौद्योगिकी) स्पेस में अनुसंधान, विकास तथा नवाचार को और अधिक बढ़ावा देगी।