लखनऊ: पदोन्नति में भेदभाव बर्दाश्त नहीं करेंगे शिक्षक, लूटा ने किया ये बड़ा ऐलान
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ लूटा ने विश्वविद्यालय के कुलपति और कुलसचिव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शिक्षकों ने गुरूवार को बैठक कर सख्त चेतावनी दी है कि यदि 24 घंटे में डीन कला संकाय को दी गई नोटिस वापस नहीं ली गयी तो आंदोलन की शुरूआत की जायेगी और पदोन्नति में लापरवाही बर्दाश्त …
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ लूटा ने विश्वविद्यालय के कुलपति और कुलसचिव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शिक्षकों ने गुरूवार को बैठक कर सख्त चेतावनी दी है कि यदि 24 घंटे में डीन कला संकाय को दी गई नोटिस वापस नहीं ली गयी तो आंदोलन की शुरूआत की जायेगी और पदोन्नति में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। इस वैठक में विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक शामिल हुए। दरअसल विश्वविद्यालय में शिक्षकों का प्रमोशन लिए कुलपति के आदेश पर प्रोन्नति समिति की बैठक लगा रखी थी, जब कला संकाय के शिक्षकों के प्रोन्नति समिति लगी।
जिस दिन बैठक थी कल कला संकाय की डीन शशि शुक्ला ने आपत्ति दर्ज करवाते हुए मीटिंग में आने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि नियमावली के अनुसार समिति की बैठक के 15 दिन पहले सदस्यों को सूचना दी जानी चाहिए। नियमावली अनुपालन विश्वविद्यलय की ओर से नहीं किया गया, लिहाजा बैठक वैधानिक रूप से सही नहीं है इसलिए वह बैठक् में वह शामिल नहीं होंगी। इसके बाद कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय के निर्देश पर कुलसचिव डॉ विनोद सिंह ने शशि कला को नोटिस जारी कर दिया। नेटिस का असर यह रहा कि विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने गुरुवार को विश्वविद्यालय के टीचर्स क्लब बैठक बुला ली और तय किया यदि 24 घंटे में नोटिस वापस नहीं हुई तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जायेगा।
कुलसचिव के खिलाफ कार्रवाई की मांग
लूटा अध्यक्ष डॉ. विनीत वर्मा ने कहा कि एक्ट, इस्टीट्यूट का पालन सुनिश्चित करवाना कुलसचिव का दायित्व है लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। अतः बैठक में उनके खिलाफ कार्यवाही की मांग की गई तथा इस विषय में कुलाधिपति तथा शासन को अवगत करवाने का प्रस्ताव भी पारित हुआ। साथ यह भी कहा गया कि संशोधित वरिष्ठता सूची तीन दिनों में जारी नहीं हुई तो संघ आंदोलन करेगा।
31 दिसंबर तक प्रोन्नति की कार्रवाई संपन्न करने की मांग
शिक्षकों ने कहा कि शासनादेश के अनुसार 31 दिसंबर तक प्रोन्नति की कार्यवाही सम्पन्न की जाए। इसमें किसी प्रकार का भेदभाव न किया जाए। इसके अलावा सहायक प्रोफेसर में स्टेज 2 और 3 में शिक्षकों के प्रमोशन के लिए मात्र स्क्रीनिंग की कार्यवाही होनी है, ऐसे शिक्षको की प्राथमिकता के आधार पर जल्द से जल्द प्रोन्नति की जाए। जिन शिक्षकों का एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर दोनों प्रोन्नति देय हैं उनको मात्र एसोसिएट प्रोफेसर पद पर ही प्रोन्नति प्रदान करने की कार्यवाही की कड़ी आलोचना की गई। सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ की उनकी दोनों ही प्रोन्नतियां एक साथ प्रदान की जाए।
काला फीता बांधकर शिक्षकों ने किया शिक्षण कार्य
पुरानी पेंशन बहाली, प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति के शासनादेश में संशोधन, सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष करने जैसी अन्य कई मांगों को लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय सम्बद्ध कॉलेज शिक्षक संघ (लुआक्टा) के आह्वान पर गुरुवार से सभी कॉलेजों के शिक्षकों ने काला फीता बांधकर काम करना शुरू किर दिया है। शिक्षकों का यह सांकेतिक विरोध-प्रदर्शन शुक्रवार और शनिवार को भी जारी रहेगा। लुआक्टा महामंत्री अंशू केडिया ने बताया कि गुरुवार की सुबह लखनऊ के अलावा हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर और रायबरेली में भी लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध 500 से ज्यादा कॉलेजों के लगभग दो हजार शिक्षक इस आंदोलन में शामिल हो गए।
शिक्षकों ने काला फीता बांधकर काम शुरू किया और बीच में क्लास से ब्रेक मिलने पर एकत्रित होकर अपनी बात भी रखी। लखनऊ में शिया पीजी कॉलेज, जेएनपीजी, डीएवी, मुमताज पीजी कॉलेज, नेशनल पीजी कॉलेज समेत लगभग सभी जगह के शिक्षक आंदोलन में शामिल हुए। लुआक्टा अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय ने बताया कि बीती पांच अक्तूबर को प्रदेश के सभी शिक्षक इसके लिए सामूहिक अवकाश पर भी थे। उन्होंने विश्वविद्यालय में धरना भी दिया था। इसके बावजूद शिक्षकों की समस्याओं का निस्तारण नहीं हुआ और एक नवम्बर 2021 को प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति के लिए विसंगतिपूर्ण शासनादेश जारी कर दिया गया।
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ये हैं शिक्षकों की प्रमुख मांगें-
- पुरानी पेंशन बहाली।
- प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति के लिए जारी शासनादेश में संशोधन।
- शासनादेश की तिथि तक हो प्रोन्नति
- तीन वर्ष बाद स्वतः प्रोफेसर पद मिले।
- सेवानिवृत्त की आयु 65 वर्ष हो।
- स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों को अनुदान सूची पर लिया जाए।
- सभी शिक्षको को पीएचडी इंक्रीमेंट मिले।
- चिकित्सा प्रतिपूर्ति का लाभ मिले।
- ग्रेच्युटी का लाभ मिले।
- अवकाशों के कटौती का शासनादेश वापस हो।
- आकस्मिक अवकाश 8 से बढ़ाकर 14 किए जाएं।
- विनियमितीकरण से वंचित मानदेय शिक्षको को विनियमित किया जाए।
- पीएचडी योग्यता वाले शिक्षकों को 25 जुलाई 2002 के शासनादेश के अनुसार फीडर कैडर का लाभ मिले।
