रामायणकालीन पौधे अयोध्या की पौराणिकता में लगाएंगे चार-चांद, जानें
अयोध्या। राम मंदिर बन जाने से न सिर्फ अयोध्या की पौराणिकता वापस लौटेगी, बल्कि जिले के पर्यटन को भी बढ़ावा मिल जाएगा। पर्यटन को बढ़ावा देने व रामनगरी आने वाले श्रद्धालुओं को भगवान राम के समय की याद दिलाने के लिए अयोध्या के 14 कोसी, पंचकोसी व राम वनगमन मार्ग सहित शहरी क्षेत्रों में 27 …
अयोध्या। राम मंदिर बन जाने से न सिर्फ अयोध्या की पौराणिकता वापस लौटेगी, बल्कि जिले के पर्यटन को भी बढ़ावा मिल जाएगा। पर्यटन को बढ़ावा देने व रामनगरी आने वाले श्रद्धालुओं को भगवान राम के समय की याद दिलाने के लिए अयोध्या के 14 कोसी, पंचकोसी व राम वनगमन मार्ग सहित शहरी क्षेत्रों में 27 हजार 720 रामायण कालीन पौधों को रोपने का काम होना है। नगर आयुक्त विशाल सिंह ने बताया कि परिक्रमा मार्ग सहित राम वनगमन मार्ग को रामायण कालीन वृक्षों से आच्छादित किया जाएगा।
अयोध्या में चौदहकोसी व पंचकोसी परिक्रमा पथ के सुदृढ़ीकरण व जनसुविधाओं को लेकर भी कवायद चल रही है। राम मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ ही यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ गई है। परिक्रमा मार्ग की बदहाली के चलते आस्था के पथ पर भक्तों के पांव छलनी होते हैं। भक्तों की सुविधा के लिए अब परिक्रमा मार्ग के चौड़ीकरण के साथ सुदृढ़ीकरण की योजना भी तैयार हो चुकी है। इस परिक्रमा मार्ग पर कई ऋषि-मुनियों के आश्रम सहित तमाम प्राचीन मंदिर हैं। यहां तक भक्तों का आवागमन सुगम बनाने का प्रयास है। इसके साथ ही पूरे परिक्रमा मार्ग को रामायणकालीन दृश्यों से भी सजाया जाएगा।
साथ ही साथ परिक्रमा मार्गों सहित रामवनगमन मार्ग व शहरी क्षेत्रों में कुल 27720 पौध रोपण होना है। प्रभागीय वनाधिकारी मनोज खरे का कहना है कि कई स्थानों को पौधरोपण के लिए चुन लिया गया है। श्रवण कुमार के ‘समाधि’ मार्ग पर भी पौधरोपण किया जाएगा। शहरी क्षेत्रों में नयाघाट से लेकर गुप्तारघाट तक 10 किलोमीटर के क्षेत्र में भी रामायणकालीन पौध लगाए जाएंगे। इसके पीछे का उद्देश्य अयोध्या के वातावरण को इकोफ्रेंडली बनाना है। मौलिश्री, पीपल, बरगद, अशोक आदि पौधे का रोपण किया जाएगा।
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इनकी सुरक्षा के भी प्रबंध होंगे। वनवास के लिए भगवान श्रीराम की ओर से चुने गए अयोध्या में राम वन गमन मार्ग को वृक्षों से सजाया जाएगा। पौधरोपण अभियान प्राचीन नदी तमसा के किनारे भी चलाया जाएगा। बीकापुर के पास राम वन गमन मार्ग पर तमसा नदी के किनारे दो स्थानों पर पौधे लगाए जाएंगे। कहा जाता है कि भगवान राम ने वनवास के लिए अयोध्या छोड़ने से पहले एक रात इसी नदी के किनारे बिताई थी। अधिकारियों के अनुसार, पौधरोपण भूमि की उपलब्धता पर निर्भर करेगा।
