बरेली: लंबित भुगतान के लिए धरने पर बैठे कर्मचारी, मांगों को लेकर उठाई आवाज

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बरेली, अमृत विचार। 22 साल पहले बंद हुई रबर फैक्ट्री न तो दोबारा चालू हो सकी और न ही कर्मचारियों को कोई काम मिला। लंबित भुगतान भी न होने से कर्मचारियों के आगे आर्थिक संकट है। वर्षों से अवशेष भुगतान को लेकर कर्मचारी मांग करते आ रहे हैं, पर कोई सुनवाई नहीं हो पा रही …

बरेली, अमृत विचार। 22 साल पहले बंद हुई रबर फैक्ट्री न तो दोबारा चालू हो सकी और न ही कर्मचारियों को कोई काम मिला। लंबित भुगतान भी न होने से कर्मचारियों के आगे आर्थिक संकट है। वर्षों से अवशेष भुगतान को लेकर कर्मचारी मांग करते आ रहे हैं, पर कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। इसके विरोध में सोमवार को सैकड़ों कर्मचारियों ने शहर के सेठ दामोदार पार्क में एक दिवसीय धरना दिया।

एस.एंड.सी. कर्मचारी यूनियन ने धरना-प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री को संबोधित जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि 15 जुलाई 1999 को बिना भुगतान मालिक ने फैक्ट्री बंद कर दी थी। अप्रैल 2002 में कोर्ट के आदेश पर श्रम विभाग ने कर्मचारियों के वेतन व अवशेष भुगतान को लेकर वसूली प्रमाण-पत्र जारी किया था, लेकिन आज तक कुछ नहीं मिला। कहा कि फैक्ट्री के 1443 कर्मचारियों का बोनस व वेतन का करीब 2.70 करोड़ बनता है, जिसकी मांग को लेकर लगातार आवाज उठाते आ रहे हैं, पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।

शुरू करेंगे अनिश्चितकालीन धरना
यूनियन के महामंत्री अशोक मिश्रा ने कहा कि अवशेष भुगतान न होने पर सैकड़ों कर्मचारियों के आगे आर्थिक संकट है। लगातार मांग उठाते आ रहे हैं, पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अगर जल्द सुनवाई नहीं हुई तो अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया जाएगा। -अशोक मिश्रा

एकजुटता जरूरी
धरना-प्रदर्शन के दौरान कमेटी के सदस्य प्रमोद कुमार ने सभी कर्मचारियों ने अपील की कि हमें एकजुट होना पड़ेगा। एकजुटता में बहुत ताकत होती है। अभी तक कोई सुनवाई न होने से सभी परेशान हैं, अपनी मांगों को लेकर लड़ाई जारी रखी जाए और यूनियन का साथ दें। -प्रमोद कुमार

जान गवां चुके हैं काफी कर्मचारी
यूनियन के सदस्य शैलेंद्र चौबे ने कहा कि 22 वर्ष पहले बंद हुई फैक्ट्री के बाद से अब तक कई कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। अवशेष भुगतान को लेकर लगातार मांग उठाते आ रहे हैं। कई बार अफसरों को ज्ञापन दें चुके हैं। -शिवकांत सक्सेना

1443 कर्मचारी प्रभावित
अनिल गुप्ता ने कहा कि रबर फैक्ट्री बंद होने से यहां काम करने वाले 1443 कर्मचारी बेरोजगार हुए थे। अवशेष भुगतान को लेकर कई बार अपने दस्तावेज पेश कर चुके हैं, फिर भी मामला लंबित है। –शैलेंद्र गुप्ता

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