हल्द्वानी: 48 नहरों के पुनरुद्धार के लिए चाहिए 13 करोड़ का बजट

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हल्द्वानी, अमृत विचार। अक्टूबर में आई आपदा इतने गहरे जख्म दे गई हैं कि वह भरने का नाम नहीं ले रहे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को हो रही है, क्योंकि कुमाऊं मंडल में नहर सिंचाई का एक मात्र साधन हैं और आपदा में 122 नहरों में से 48 नहर क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। इसमें …

हल्द्वानी, अमृत विचार। अक्टूबर में आई आपदा इतने गहरे जख्म दे गई हैं कि वह भरने का नाम नहीं ले रहे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को हो रही है, क्योंकि कुमाऊं मंडल में नहर सिंचाई का एक मात्र साधन हैं और आपदा में 122 नहरों में से 48 नहर क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। इसमें भी 20 नहर ऐसी हैं जो कि पूरी तरह से बंद पड़ी हैं। इनके पुरुद्धार के लिए सिंचाई विभाग को 13 करोड़ रुपए की दरकार है। बजट मिलने के बाद ही इन नहरों का पुनरुद्धार होगा। तब तक किसानों को सिंचाई के लिए वैकल्पिक व्यवस्था का ही सहारा लेना पड़ेगा।

कुमाऊं मंडल में 122 नहरों में से 51 नहर मैदानी तथा 51 नहर पहाड़ी क्षेत्र में हैं। अक्टूबर में जब आपदा आई तो गौलानदी का बहाव इतना तेज हो गया कि उक्त सभी नहर ओवरफ्लो हो गई। पानी का बहाव इतना तेज था कि 48 नहरें क्षतिग्रस्त हो गई। इसमें 20 नहर तो ऐसी हैं जो कि पूरी तरह से टूट गई और वर्तमान में बंद पड़ी हैं। 28 नहर आंशिक रूप से काम में आ रही हैं। यह भी कब बंद हो जाए कहा नहीं जा सकता है। सिंचाई विभाग ने नहरों के पुनरुद्धार के लिए डीएम से 13 करोड़ रुपए के बजट की मांग की, लेकिन आपदा में डीएम केवल डेढ़ लाख रुपए का बजट ही जारी कर सकते हैं। इसलिए डीएम ने हाथ खड़े कर दिए और प्रस्ताव सिंचाई विभाग के सचिव को भेज दिया। 16 दिन से यह प्रस्ताव सिंचाई विभाग के मुख्यालय में लंबित है। अब अधिकारियों को बजट का बेसब्री से इंतजार है।

13 करोड़ रुपए का प्रस्ताव डीएम के माध्यम से सिंचाई विभाग के सचिव को भेजा है। बजट मिलने के बाद ही नहरों के पुनरुद्धार का कार्य शुरू होगा। गौलापार मुख्य नहर, गौला पार समांतर नहर में वैकल्पिक व्यवस्था का प्रयास किया था लेकिन पानी के तेज बहाव के चलते सफलता नहीं मिली। -तरुण कुमार बंसल, अधिशासी अभियंता, सिंचाई खंड

31 मार्च 2022 तक मिली पानी व सीवर के बकाया शुल्क में छूट
पेयजल व स्वच्छता अनुभाग की ओर से जल मूल्य व सीवर शुल्क की बकाया राशि पर 100 फीसदी की छूट दी जा रही है। जल संस्थान के अधीक्षण अभियंता विशाल सक्सेना ने बताया कि 26 अगस्त को मुख्यमंत्री की ओर से की गई घोषणा के तर्ज पर यह फैसला लिया गया है। विभाग की ओर से 31 मार्च 2022 तक लोगों का बकाया शुल्क माफ किया जा रहा है। इसके बाद भुगतान न करने पर यथावत जुर्माना वसूला जाएगा।