हल्द्वानी: बच्चों को नंगे पैर और प्यासा दौड़ा कर कराया जा रहा खेल महाकुंभ

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यतीश शर्मा, अमृत विचार। खेल महाकुंभ के तहत दो दिन की प्रतियोगिताएं संपन्न हो चुकी हैं लेकिन अभी तक सरकारी अमला व्यवस्थाएं दुरुस्त करने में नाकाम साबित हुआ है। विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते खिलाड़ी नंगे पैर खेलने को मजबूर हैं। व्यवस्थाएं करने में विफल अधिकारी खिलाड़ियों को प्लेटफार्म देने की बात कहकर पल्ला …

यतीश शर्मा, अमृत विचार। खेल महाकुंभ के तहत दो दिन की प्रतियोगिताएं संपन्न हो चुकी हैं लेकिन अभी तक सरकारी अमला व्यवस्थाएं दुरुस्त करने में नाकाम साबित हुआ है। विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते खिलाड़ी नंगे पैर खेलने को मजबूर हैं। व्यवस्थाएं करने में विफल अधिकारी खिलाड़ियों को प्लेटफार्म देने की बात कहकर पल्ला झाड़ने का प्रयास कर रहे हैं।

शिक्षा विभाग, युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल के संयुक्त तत्वावधान में ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगिताएं काठगोदाम इंटर कॉलेज, शगुन बैकेंट हॉल एवं एमबी इंटर कॉलेज में कराई जा रही हैं। तीनों ही स्थानों पर व्यवस्थाएं कराने में तीनों विभाग विफल साबित हुए हैं। इसका खामियाजा खिलाड़ियों को भुगतना पड़ रहा है।

उन्हें खाली पेट ही अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करना पड़ रहा है। कुछ खिलाड़ी आर्थिक कमजोरी के चलते नंगे पैर तथा चप्पल पहनकर खेलने को विवश हैं। अधिकारी उन्हें जूते तक नहीं दिला सके हैं। जबकि प्रतियोगिताएं ठीक तरह से संपन्न कराने के लिए विभागीय अधिकारियों के पास हल्द्वानी ब्लॉक के लिए ही करीब तीन लाख रुपये का बजट मौजूद है। बावजूद इसके न तो खिलाड़ियों को अल्पाहार दिया और न ही यहां पेयजल की व्यवस्था है। यहां तक कि शुक्रवार और शनिवार को जीती टीम के मेडल तथा प्रमाण पत्र भी विभागीय अधिकारियों ने दूसरे दिन खेल स्थल पर भेजे। इसके चलते विजेता खिलाड़ियों को प्रमाण पत्र तथा मेडल के लिए भटकना पड़ रहा है।

अपनी जेब से खर्च करके दिया पांच रुपए का बिस्किट
एमबी इंटर कॉलेज में ब्लाक स्तरीय खेल महाकुंभ के पहले दिन स्वल्पहार के लिए कॉलेज प्राचार्य डॉ. डीके पंत ने छह सौ रुपये बच्चों के खाने के इंतजाम के लिए दिए। तब पहले दिन खिलाड़ियों को पांच रुपये वाला बिस्किट का पैकेट मिल सका। जबकि शनिवार को बच्चों ने बिना अल्पहार के ही मैच खेले। जबकि दूसरे दिन यहां ऐसा कोई नहीं आया जो अपनी जेब से पैसा खर्च करके खिलाड़ियों को अल्पहार की व्यवस्था करा सके। इसके कारण दूसरे दिन खिलाड़ियों को अल्पहार नहीं दिया गया।

कोरोना का बहाना तो खेल प्रतियोगिता ही क्यों
अधिकारियों का कहना है कि कोरोना की वजह से खिलाड़ियों को लंच और पानी नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब कोरोना नियमों का इतना ख्याल रखा जा रहा है तो ऐसे में खेल महाकुंभ आयोजित करने की जरूरत ही क्या थी।

कोरोना के कारण शासन ने खिलाड़ियों को लंच देने से सख्त मना कर दिया। केवल सूखा नाश्ता देने के निर्देश हैं। इसके लिए खंड शिक्षा अधिकारियों को बजट उपलब्ध करा दिया है। वह सारी व्यवस्थाएं देख रहे हैं। – दीप्ति जोशी, जिला युवा कल्याण अधिकारी

हम केवल खिलाड़ियों को प्लेटफार्म उपलब्ध करा रहे हैं। खिलाड़ी अपने संसाधन से खेल में अच्छा प्रदर्शन करें। सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को खेल छात्रावास में प्रवेश का मौका भी मिलेगा। प्रतियोगिता के लिए दो लाख 92 हजार रुपए का बजट मिला है। इसमें से दो लाख चार हजार रुपए की खिलाड़ियों को नगद धनराशि वितरित की जाएगी। पूरे ब्लॉक में तीन स्थानों पर होने वाली प्रतियोगिताएं की व्यवस्थाओं के लिए 88 हजार रुपए की धनराशि है। इसी में सभी व्यवस्थाएं करनी है। – हरेंद्र मिश्रा, खंड शिक्षा अधिकारी 

 

 

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