हल्द्वानी: 21 साल के राज्य में मुख्यमंत्री का औसत कार्यकाल करीब 21 माह

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हल्द्वानी, अमृत विचार। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद हुए चुनावों में जनता ने जनादेश देने में कभी कोई भ्रम की स्थिति नहीं दिखाई। यहां बारी-बारी से भाजपा और कांग्रेस पांच साल तक सरकार चलातीं रहीं। इसकी वजह यह रही कि राज्य की जनता को स्पष्ट जनादेश देने की आदत है। कभी किसी सरकार को स्पष्ट …

हल्द्वानी, अमृत विचार। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद हुए चुनावों में जनता ने जनादेश देने में कभी कोई भ्रम की स्थिति नहीं दिखाई। यहां बारी-बारी से भाजपा और कांग्रेस पांच साल तक सरकार चलातीं रहीं। इसकी वजह यह रही कि राज्य की जनता को स्पष्ट जनादेश देने की आदत है।

कभी किसी सरकार को स्पष्ट जनादेश नहीं भी मिला तो वह बहुमत के इतने करीब रही कि उसे सरकार पांच साल तक चलाने में कोई दिक्कत नहीं हुई। इसके बावजूद यहां यहां अब तक मुख्यमंत्री पद पर 12 बार मुख्यमंत्री आ चुके हैं जबकि राज्य गठन को केवल 21 साल हुए हैं।

राज्य गठन के बाद जब भाजपा की सरकार बनी तो भाजपा ने पहले नित्यानंद स्वामी और बाद में भगत सिंह कोश्यारी को मुख्यमंत्री बनाया था। इसके बाद पूर्ण बहुमत के साथ कांग्रेस की सरकार बनी और एनडी तिवारी ने पांच साल सरकार चलाई। फिर भाजपा को मौका मिला और भाजपा ने पांच साल में तीन बार मुख्यमंत्री पद पर चेहरे दिए। रमेश पोखरियाल निशंक के अलावा भुवन खंडूड़ी को यह मौका दो बार दिया गया।

कांग्रेस फिर से सत्ता में आई लेकिन स्पष्ट बहुमत से कुछ दूर रह गई लेकिन निर्दलीय विधायक और बसपा की मदद से सरकार आराम से पांच साल तक चली। दिक्कत खड़ी की तो कांग्रेस के ही विधायकों ने। पहली बार विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री बने तो बाद में हरीश रावत को मुख्यमंत्री बना दिया गया।

बाद में कांग्रेस के विधायकों की बगावत के चलते राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया लेकिन हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद हरीश रावत फिर से मुख्यमंत्री बन गए। साल 2017 में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला। इस बार लगा कि डबल इंजन की सरकार में मुख्यमंत्री पद पर एक ही नेता बना रहेगा लेकिन इस बार भाजपा ने भी फिर से पुरानी परंपरा का निर्वहन किया। पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत फिर तीरथ सिंह रावत और बाद में पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बना दिया। चुनाव के समय राज्य की जनता ने हर बार स्पष्ट सोच के साथ वोट दिया है लेकिन कांग्रेस और भाजपा हाईकमान ने जनता की इस सोच का कभी भी सम्मान नहीं किया।

कमजोर क्षेत्रीय दल की वजह से बनी स्थिति
उत्तराखंड में क्षेत्रीय दल कमजोर स्थिति में हैं। यहां उत्तराखंड क्रांति दल अपना आधार बचाने की कोशिश कर रही है। राष्ट्रीय दल बसपा ने तीसरे विकल्प की उम्मीद जताई थी लेकिन वह भी उम्मीद को आगे नहीं बढ़ा पाई। भाजपा और कांग्रेस ने इस बात का हमेशा फायदा उठाया कि उनका तीसरा विकल्प नहीं है। इस वजह से दोनों ही पार्टियों ने अपनी मनमानी की है।

राज्य में क्रमवार बने मुख्यमंत्री
1-नित्यानंद स्वामी, 2-भगत सिंह कोश्यारी, 3-एनडी तिवारी, 4-बीसी खंडूड़ी, 5-रमेश पोखरियाल, 6-बीसी खंडूड़ी, 7-विजय बहुगुणा, 8-हरीश रावत -राष्ट्रपति शासन-9-हरीश रावत, 10-त्रिवेंद्र सिंह रावत, 11-तीरथ सिंह रावत, 12-पुष्कर सिंह धामी

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