एनटीपीसी जैसी कंपनियां खरीद रही हैं पराली और फसलों के डंठल, जानें कैसे होगा इस्तेमाल

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नई दिल्ली। केंद्रीय बिजली मंत्रालय की एक समीक्षा के अनुसार केंद्र सरकार की एनटीपीसी और उत्तर के विभिन्न राज्यों की ताप बिजली कंपनियों ने अपने संयंत्रों में ईंधन के रूप में इस्तेमाल के लिए 22 लाख टन से अधिक पराली,  धान के डंठल खरीद करने के आर्डर दिए हैं। गौरतलब है कि केंद्र ने खास …

नई दिल्ली। केंद्रीय बिजली मंत्रालय की एक समीक्षा के अनुसार केंद्र सरकार की एनटीपीसी और उत्तर के विभिन्न राज्यों की ताप बिजली कंपनियों ने अपने संयंत्रों में ईंधन के रूप में इस्तेमाल के लिए 22 लाख टन से अधिक पराली,  धान के डंठल खरीद करने के आर्डर दिए हैं।

गौरतलब है कि केंद्र ने खास कर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस मौसम में खेतों में धान की डंठल जलाए जाने से प्रदूषण की समस्या के निवारण के लिए कोयला आधारित इन संयंत्रों में कोयले के साथ पराली को ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर बिजली उत्पादन के संबंध में संशोधित जैविक ईंधन नीति 8 अक्टूबर 2021′ को जारी की थी।

इस नीति की प्रगति की बिजली मंत्रालय की ताजा समीक्षा के अनुसार एनटीपीसी ने 9,30,000 टन बायोमास पैलेट्स ( पराली का गोला) खरीदने का ऑर्डर दिया है। इसी तरह हरियाणा, पंजाब और यूपी अपने बिजली संयंत्रों में जलाने के लिए 13,01,000 टन पराली के गोले की खरीदारी कर रहे हैं।

इस श्रृंखला में हितधारकों की भागीदारी सुनश्चित करने के साथ जागरूक और प्रशिक्षित करने के लिए हरियाणा और पंजाब में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार केन्द्रीय विद्युत सचिव आलोक कुमार ने 28 अक्टूबर को ताप विद्युत संयंत्रों में फसलों की डंठल को ईंधन के साथ इस्तेमाल की स्थिति की समीक्षा बैठक ली।

बैठक में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधियों, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, एनटीपीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, मिशन निदेशक-राष्ट्र जैव मिशन और विद्युत मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। समीक्षा में यह बात सामने आयी है कि एनटीपीसी ने 8,65,000 टन डंठल के गोले खरीदने के लिए ऑर्डर दिया, जिसके लिए आपूर्ति पहले से ही प्रगति पर है।

इसके अलावा, एनटीपीसी ने अक्टूबर ’21 में 65,000 टन का अतिरिक्त जैव ईंधन खरीदने का ऑर्डर दिया है। समीक्षा के अनुसार साथ ही 25,00,000 टन बायोमास के गोले की खरीद की एक और श्रृंखला प्रगति पर है, जिसके लिए विक्रेताओं से पहली नवंबर तक तक प्रस्ताव पेशकश करने को कहा गया है।

हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश मिलकर अपने बिजली संयंत्रों में को-फायरिंग के लिए लगभग 13,01,000 टन बायोमास पैलेट्स की खरीदारी कर रहे हैं। इन राज्यों द्वारा दिए गए ऑर्डर को नवंबर में अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।

उल्लेखनीय है कि इस संदर्भ में, विद्युत मंत्रालय ने 17 नवंबर, 2017 को कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में को-फायरिंग के माध्यम से बिजली उत्पादन के लिए बायोमास के उपयोग पर नीति को जारी किया था। मंत्रालय के अनुसार इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, अक्टूबर 2021 के महीने में लगभग 1400 टन बायोमास का इस्तेमाल किया गया है और अब तक कुल 53000 टन बायोमास को बिजली संयंत्रों में हरित ईंधन के रूप में उपयोग किया जा चुका है।

सबसे अधिक प्रभावित छह राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, यूपी, दिल्ली, राजस्थान और एमपी में पराली जलने की घटनाओं में 2020 में इसी अवधि की तुलना में 2021 में अब तक 58.3 प्रतिशत की कमी आई है।

उम्मीद है कि नवगठित राष्ट्रीय मिशन के माध्यम से एमओपी के प्रयास उत्तर पश्चिम भारत में वायु प्रदूषण को कम करने के साथ-साथ कृषि भूमि की उर्वरता के नुकसान को रोकने और किसानों, आपूर्तिकर्ताओं और बायोमास ईंधन निर्माताओं के लिए एक स्थायी आय स्रोत प्रदान करने में सक्षम होंगे।

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