बरेली: शहीद-ए-आजम के वंशज को सरकारी गल्ला दुकान की दरकार

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मोनिस खान, बरेली, अमृत विचार। बरेली समेत पूरे रुहलेखंड को 11 महीने तक आजाद रखने और हंसते-हंसते फांसी के तख्ते पर झूलने वाले शहीद-ए-आजम नवाब खान बहादुर खान के वंशजों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। सरकारी मदद की आस लिए बीते दिनों उनके वंशज शफ्फन खान इस दुनिया से रुखसत हो गए। सारी …

मोनिस खान, बरेली, अमृत विचार। बरेली समेत पूरे रुहलेखंड को 11 महीने तक आजाद रखने और हंसते-हंसते फांसी के तख्ते पर झूलने वाले शहीद-ए-आजम नवाब खान बहादुर खान के वंशजों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। सरकारी मदद की आस लिए बीते दिनों उनके वंशज शफ्फन खान इस दुनिया से रुखसत हो गए।

सारी जिंदगी पंक्चर जोड़कर गुजारी। उनके परिवार को सरकारी महफिलों में बुलाकर सम्मान देने के अलावा आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कोई खास मदद नहीं हुई। शहीद-ए-आजम और 1857 की क्रांति के नायक नवाब खान बहादुर खान के वंशजों की उपेक्षा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शफ्फन खान की मौत के बाद अब उनके भाई लियाकत खान को एक अदद सरकारी गल्ला दुकान की दरकार है।

नवाब खान बहादुर खान के वंशज लियाकत खान स्वतंत्रता सेनानी आश्रित कोटे से राशन की दुकान दिए जाने के लिए पूर्ति विभाग में प्रार्थना पत्र दिया है। लियाकत खान ने बताया कि अमृत विचार अखबार में पढ़कर उन्हे पता चला कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रितों के लिए राशन की दुकान दी जानी है जिसके बाद उन्होने जिलापूर्ति अधिकारी को एक लिखित प्रार्थना पत्र दिया। उन्होनें बताया कि मौजूदा वक्त में पुराने टायरों और ट्यूब को बेचकर गुजर-बसर करते हैं। इन पुराने टायरों को ढूंढने के लिए ट्रांसपोर्ट पर खाक छाननी पड़ती है तब जाकर रोजी-रोटी का गुजारा होता है।

सरकारी मदद के नाम पर केवल सरकारी महफिलों में बुलाकर सम्मानित कर दिया जाता है। परिवार में तीन बेटियां, एक बेटा और पत्नी है। बेटी शगुफ्ता खान बीएड करना चाहती है। प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद एक कालेज में नाम आया तो फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे। अधिकारियों को बताया तो उन्होनें स्कॉलरशिप आने की बात कही। लेकिन स्कॉलरशिप का पैसा भी तभी आएगा जब फीस भरने के बाद दाखिला होगा।

अब यह सोचकर राशन की दुकान के लिए प्रार्थना पत्र दिया है कि बेटियों की शादियों में दिक्कत न हो और बची कुची जिंदगी में आर्थिक तौर पर थोड़े आंसू पुछ जाएं। दूसरी तरफ पूर्ति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि स्वतंत्रता सेनानी आश्रित के तहत दुकान के लिए रिक्तियां हैं। इसमें तीन फीसद तक कोटा होता है। लाटरी प्रक्रिया से दुकान आवंटित की जाएगी।

खान बहादुर खान की मजार भी बदहाल
पुरानी जिला जेल स्थित शहीद नवाब खान बहादुर खान की मजार के जीर्णोद्धार की योजना है। पूर्व में यहां मजार के दरवाजे पर लगे शीशों को खुराफितों ने तोड़ दिया था। लंबे समय बाद इसको ठीक कराया गया। लेकिन एक बार फिर वही स्थिति है। दरवाजे का शीशा टूटा हुआ है। लियाकत खान ने बताया कि अधिकारियों को अवगत करा दिया है लेकिन हालात नहीं सुधरे।

नवाब खान बहादुर खान के वंशज लियाकत अली खान का प्रार्थना पत्र प्राप्त हुआ है। जो भी प्रक्रिया होगी उसके मुताबिक ही राशन की दुकान का आवंटन किया जाएगा। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित कोटे से दुकाने खाली हैं, जिनको पूर्ण किया जाएगा। –नीरज सिंह, जिला पूर्ति अधिकारी

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