बरेली: कैसे सुधरे बच्चों की सेहत, तीन सीपीडीओ पर 16 ब्लॉक का चार्ज

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बरेली, अमृत विचार। जिले में बाल विकास पुष्टाहार विभाग में अधिकारियों का टोटा पड़ गया है। 13 ब्लाकों में लंबे समय से बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) की कुर्सी खाली है, जिससे कामकाज बुरी तरह प्रभावित है तो बच्चों में कुपोषण जैसे खतरे से निपटने की परियोजना भी इन ब्लॉकों में लड़खड़ा गई है। यही …

बरेली, अमृत विचार। जिले में बाल विकास पुष्टाहार विभाग में अधिकारियों का टोटा पड़ गया है। 13 ब्लाकों में लंबे समय से बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) की कुर्सी खाली है, जिससे कामकाज बुरी तरह प्रभावित है तो बच्चों में कुपोषण जैसे खतरे से निपटने की परियोजना भी इन ब्लॉकों में लड़खड़ा गई है। यही वजह है कि कुपोषण से ग्रसित बच्चों में कमी नहीं आ रही है।

जिले में 15 ब्लाक और नगर क्षेत्र में कुल 16 सीडीपीओ के पद स्वीकृत हैं। लंबे समय से कई ब्लाकों में सीडीपीओ के पद रिक्त चल रहे थे। अब रिक्त पदों की संख्या 13 पहुंच गई है। वहीं, जिले में कुल 2857 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं, जिनमें तीन लाख से अधिक बच्चे पंजीकृत हैं। ब्लाकों में सीडीपीओ के पद रिक्त होने से दूसरे ब्लाकों के सीडीपीओ को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है, जिससे वर्कलोड बढ़ने से तैनाती वाली ब्लाकों की भी गुणवत्ता प्रभावित हुई है। रिक्त चल रहे ब्लाकों में शेरगढ़, बिथरीचैनपुर, बहेड़ी, भुता, दमखोदा, शहर, भदपुरा, फतेहगंज पश्चिमी, मीरगंज, क्यारा, रामनगर, फरीदपुर, मझगवां शामिल है। इसी तरह बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के उप निदेशक डा. आरबी सिंह पर जिला कार्यक्रम अधिकारी का अतिरिक्त चार्ज है।

22 सुपरवाइजर के जिम्मे 2857 केंद्रों की देखरेख
जिले की 1193 ग्राम पंचायतों में 2857 आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। इन केंद्रों की देखरेख के लिए 104 सुपरवाइजर की तैनाती होनी चाहिए लेकिन स्थिति चिंताजनक है। एक-एक सुपरवाइजर पर कई केंद्रों का अतिरिक्त प्रभार भी है। डिप्टी डायरेक्टर डा. आरबी सिंह ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में है। स्टाफ की कमी को लेकर शासन से पत्राचार किया गया है।

भवन जर्जर की समस्या भी बरकरार
जिले में करीब तीन सौ आंगनबाड़ी भवन जर्जर है। कई जगह तो पेयजल की समस्या बनी है मगर इनकी मरम्मत को लेकर जिम्मेदार बजट का रोना रो रहे हैं। उनका कहना है कि जिले में करीब 18 नए आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण कराया जा रहा है, मगर जर्जर भवनों की मरमम्मत को लेकर कोई बजट शासन से स्वीकृत नहीं है।

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