लखनऊ: केजीएमयू में बढ़ रही है हृदय रोग से पीड़ित मरीजों की संख्या

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लखनऊ। राजधानी के अस्पतालों में हृदय रोगियों की संख्या बढ़ रही है, इसमें अन्य अस्पतालों की अपेक्षा किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय केजीएमयू की लॉरी कार्डियोलॉजी यूनिट की ओेपीडी में दिखाना मरीज ज्यादा बेहतर समझ रहे हैं। यहां 500 के करीब मरीज हर दिन आ रहे हैं। जबकि बगल के ही जिला अस्पताल बलरामपुर अस्पताल में …

लखनऊ। राजधानी के अस्पतालों में हृदय रोगियों की संख्या बढ़ रही है, इसमें अन्य अस्पतालों की अपेक्षा किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय केजीएमयू की लॉरी कार्डियोलॉजी यूनिट की ओेपीडी में दिखाना मरीज ज्यादा बेहतर समझ रहे हैं। यहां 500 के करीब मरीज हर दिन आ रहे हैं। जबकि बगल के ही जिला अस्पताल बलरामपुर अस्पताल में हर दिन 70 से 80 मरीज आ रहे हैं।

वहीं सिविल अस्पताल की ओपीडी में 45 से 50 आते हैं, इसी तरह से गोमती नगर लोहिया अस्पताल में कोरोना काल में 250 मरीज आते थे, अब यहां 100 मरीज रोजाना आते हैं। हालांकि बलरामपुर,सिविल और डॉ. राम मनोहर लोहिया संयुक्‍त चिकित्‍सालय को बड़े अस्पतालों में गिना जाता है, यहां कार्डियक यूनिट भी मौजूद है। इसके बाद भी केजीएमयू पर मरीज व उनके परिजन ज्यादा भरोसा जता रहे हैं।

केजीएमूय में बढ़ानी पड़ सकती हैं सुविधाएं 

वहीं केजीएमयू के डॉक्टरों का कहना है कि जिस तरह मरीजों की संख्या बढ़ी है, उससे आने वाले दिनों में सुविधाएं भी बढ़ानी पड़ेंगी नहीं तो दिक्कत हो सकती है। इससे पहले यहां ओपीडी में हृदय रोगियों को देखने के लिए डॉक्टरों की संख्या बढ़ायी जा चुकी है।

सरकारी अस्पतालों से भी रेफर किए जा रहे मरीज

वहीं बलरामपुर,सिविल और डॉ. राम मनोहर लोहिया संयुक्‍त चिकित्‍सालय में कार्डियक यूनिट होने के बाद भी गंभीर मरीजों को पीजीआई या केजीएमयू रेफर किया जाता है, हालांकि पीजीआई में भर्ती प्रक्रिया आसान न होने के कारण केजीएमयू को मरीज पहले प्राथमिकता दे रहे हैं।

​जिलो के मरीज सीधे पहुंच रहे केजीएमयू

केजीएमयू में जिले से आने वाले मरीजों की भी संख्या बढ़ी है। लारी कार्डियोलॉजी में तैनात स्टाफ का कहना है कि यहां मरीज के परिजन खुद ही बताते हैं कि वह अपने मरीज को पीजीआई में दिखाना चाहते हैं लेकिन उन्हें जब भर्ती नहीं मिलती है तो केजीएमयू पर भी भरोसा करते हैं।

केजीएमयू में ये आता है खर्च 
1—सिंगल वॉल्व रिप्लेसमेंट एक लाख 35 हजार
2— डबल वाॅल्व रिप्लेसमेंट दो लाख 10 हजार
3—काेरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग एक लाख 10 हजार
4—एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट एक लाख 5 हजार
5— वेंटिकुलर सेप्टल डिफेक्ट एक लाख 10 हजार

पहले की अपेक्षा इधर मरीजों की संख्या अधिक बढ़ी है, लेकिन गंभीर मरीजों को पहले प्राथमिकता दी जानी चाहिए इसका विशेष ध्यान रखा जाता है…डॉ सु​धीर सिंह प्रवक्ता केजीएमयू।

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