हल्द्वानी: फिर टूट गई जल संस्थान की जुगाड़ वाली पेयजल लाइन, बरसात में पेयजल को तरसे लोग
संजय पाठक, हल्द्वानी। 24 घंटे से हो रही तेज बारिश के कारण गौला नदी का जलस्तर बढ़ गया। इस कारण रकसिया नाला भी उफना गया। चंबल पुल के नीचे से गुजर रही जल संस्थान की जुगाड़ वाली मुख्य पेयजल लाइन भी क्षतिग्रस्त हो गई। जिसके कारण बिठौरिया, बमौरी क्षेत्र की करीब 15 हजार की आबादी …
संजय पाठक, हल्द्वानी। 24 घंटे से हो रही तेज बारिश के कारण गौला नदी का जलस्तर बढ़ गया। इस कारण रकसिया नाला भी उफना गया। चंबल पुल के नीचे से गुजर रही जल संस्थान की जुगाड़ वाली मुख्य पेयजल लाइन भी क्षतिग्रस्त हो गई। जिसके कारण बिठौरिया, बमौरी क्षेत्र की करीब 15 हजार की आबादी पेयजल को तरस गई। हर बार की तरह इस बार भी जल संस्थान के अधिकारी रकसिया नाले का दुखड़ा रो रहे हैं। वहीं, 7.50 लाख का प्रस्ताव जिलाधिकारी को भेजने और आपदा मद से प्रस्ताव को मंजूरी मिलने पर चंबल पुल से गुजर रही लाइन को शिफ्ट करने की बात कह रहे हैं।

हल्द्वानी में साल दर साल बढ़ रही बसासत के बीच पेयजल की समस्या गहराती जा रही है। करीब साढ़े छह लाख की आबादी वाले शहर के अधिकतर इलाकों में 40 साल पुरानी लाइनों से पेयजल की सप्लाई हो रही है। हालांकि कुछ इलाकों में नई पेयजल लाइनें भी डाली गई हैं। लेकिन विभागीय अधिकारियों के स्थलीय निरीक्षण में झोल की वजह से अधिकतर इलाकों में अब भी क्षतिग्रस्त और कम व्यास की लाइनों से पेयजल सप्लाई की जा रही है।
सरस्वती विहार, बिठौरिया निवासी सामाजिक कार्यकर्ता रमेश चंद्र जोशी ने बताया कि आबादी बढ़ने के साथ-साथ पेयजल लाइनों को विस्तार नहीं हुआ। पहले जिस कॉलोनी में 10 परिवार थे, अब वहां 60 से ऊपर हो गए हैं, ऐसे में पुरानी और कम व्यास की लाइनों से पेयजल सप्लाई नाकाफी साबित हो रही है। जल संस्थान के जिम्मेदार अधिकारी कभी भी स्थलीय निरीक्षण कर समस्या से वाकिफ ही नहीं होना चाहते। कभी रकसिया तो कभी गौला नदी का जलस्तर बढ़ने का हवाला देने तक ही सीमित रहते हैं। समाधान के नाम पर टैंकर भेजने का रटा रटाया जवाब जरूर दे देते हैं।
तिलक नगर फेस वन कॉलोनी निवासी शरद चंद्र कांडपाल ने बताया कि कई वर्षों से कॉलोनी में पेयजल की समस्या बनी हुई है। कई बार अधिशासी अभियंता को ज्ञापन दे चुके हैं। मेयर के माध्यम से कॉलोनी के लिए नई पेयजल लाइन का प्रस्ताव बनाने और बजट स्वीकृति की सहमति दे दी गई है। बावजूद इसके जल संस्थान के अधिकारियों ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। जिस कारण कॉलोनी के दर्जनों परिवारों को बरसात में भी पेयजल के लिए तरसना पड़ रहा है।

मानसून सीजन में करीब 20 बार टूट गई पेयजल लाइन
चंबल पुल के नीचे से गुजर रही पेयजल लाइन मानसून सीजन में करीब 20 बार टूट चुकी है। फिर भी जल संस्थान के अधिकारियों ने इसके स्थायी समाधान के प्रति दिलचस्पी नहीं दिखाई। प्लास्टिक के पाइपों को लकड़ी और लोहे के पतले तारों के सहारे बांधकर पेयजल सप्लाई की जाती है। हर बार मरम्मत के नाम पर पाइप और मजदूरी पर भी खर्च होता है। लेकिन इन सबसे जल संस्थान के अधिकारियों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता। हां, इतना जरूर है कि पेयजल लाइन के टूटने से हजारों की आबादी को पेयजल के तरसना पड़ जाता है।
