विदेशी कृष्ण भक्तों की ब्रज मंडल परिक्रमा 20 अक्टूबर से, जानिए क्या है खास

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मथुरा। विश्व के विभिन्न देशों से आए विदेशी कृष्ण भक्तों की कार्तिक मास की ब्रज मंडल परिक्रमा 20 अक्टूबर से शुरू हो रही है। कार्तिक का महीना भगवान विष्णु का महीना होने के कारण पवित्र माना जाता है। वैसे इस माह में भगवान शिव, विष्णु, तुलसी व कार्तिकेय की पूजा फलदायिनी मानी जाती है। ब्रज …

मथुरा। विश्व के विभिन्न देशों से आए विदेशी कृष्ण भक्तों की कार्तिक मास की ब्रज मंडल परिक्रमा 20 अक्टूबर से शुरू हो रही है। कार्तिक का महीना भगवान विष्णु का महीना होने के कारण पवित्र माना जाता है।

वैसे इस माह में भगवान शिव, विष्णु, तुलसी व कार्तिकेय की पूजा फलदायिनी मानी जाती है। ब्रज में इसे भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण का महीना भी मानते हैं। इस माह के कार्यक्रमों की शुरुआत कुछ लोग आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से कर देते हैं। अन्य लोग इस माह में किए जाने वाले जप, तप, व्रत, स्नान, दान, परिक्रमा की शुरुआत शरद पूर्णिमा के अगले दिन से करते हैं।

इस संबंध में केशवजी गौड़ीय मठ के सभापति और आचार्य माधव महराज ने बताया कि इस महीने का कार्तिक नाम भगवान कार्तिकेय के नाम पर पड़ा है। इस महीने में भगवान कार्तिकेय का न केवल प्रादुर्भाव हुआ था, बल्कि उन्होंने ताड़कासुर का भी वध किया था।

बता दें कि भगवान कार्तिकेय की पूजा दक्षिण भारत में अधिक की जाती है। कलियुग में कार्तिक मास को मोक्ष का साधन माना जाता है। इस माह में विवाहित व अविवाहित यानी क्वारी महिलाएं किसी पवित्र नदी व घर में तारों की छांव में ब्रह्म महूर्त में स्नान करके दामोदर की पूजा करती हैं। इस माह में भगवान विष्णु की प्रिया तुलसी की पूजा का विशेष महत्व होता है। तुलसी की पूजा से घर के रोग दूर होने के साथ अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है।

उन्होंने बताया कि ब्रज में मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन, बरसाना, नन्दगांव, बल्देव आदि तीर्थस्थलों में इस माह परिक्रमा करने की होड़ सी लग जाती है। इस महीने में परिक्रमा का पुण्य कमाने के लिए अमेरिका, इंग्लैंड, यूरोप, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, बाली आदि देशों के बहुत सारे भक्त ब्रज में आते हैं और परिक्रमा में भाग लेते हैं। ब्रज मंडल परिक्रमा ब्रज चैरासी कोस की परिक्रमा है।

इसमें उन पावन स्थलों में पूजन अर्चन का विशेष महत्व है, जहां पर श्यामसुन्दर ने लीलाएं की थी। सैकड़ों विदेशी कृष्ण भक्तों के गुरु माधव महराज ने बताया कि विदेशी कृष्ण भक्तों की ब्रज मंडल परिक्रमा 20 अक्टूबर से वृन्दावन में यमुना पूजन और नियम लेने के साथ शुरू हो रही है। इसके तहत परिक्रमा में किसी प्रकार का व्यवधान रोकने के लिए विदेशी कृष्ण भक्त शुरू के दस दिन तक वृन्दावन में पड़ाव बनाकर ब्रज मंडल परिक्रमा करते हैं, शेष दिनों में गोवर्धन को पड़ाव बनाकर परिक्रमा करते हैं।

इस परिक्रमा की एक विशेषता यह भी है कि इसमें माधव महराज खुद साथ-साथ न केवल परिक्रमा करते हैं। बल्कि विदेशी कृष्ण भक्तों को उन पावन स्थलों के महत्व के बारे में भी बताते हैं। जहां श्यामाश्याम ने लीला की थी। इस्कान वृन्दावन के जनसंपर्क विभाग के निदेशक बिमल कृष्ण दास ने बताया कि इस परिक्रमा में केदारनाथ, रत्नवेदी, चरण चिन्ह, गहवरवन, टेरकदम्ब, चरण पहाड़ी, ग्वाल पोखरा, किल्लोलकुण्ड, कोकिलावन, दानघाटी, मुखारबिन्द, कुसुम सरोवर, दीर्घपुर, भोजन थाली, वृन्दादेवी, गोकुल, महाबन, रावल, दाऊजी आदि पावन स्थल पड़ते हैं। जहां पूजन अर्चन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। परिक्रमा के लिए जारी कार्यक्रम के अनुसार परिक्रमा का समापन 19 नवंबर को होगा। मगर उसके एक दिन पहले श्रील भक्तिप्रमोद पुरी गोस्वामी महाराज का तिरोभाव महोत्सव होगा।

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