दशहरा के उल्लास में डूबा रायबरेली, इन 46 स्थानों पर जलेगा रावण

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रायबरेली। विजयदशमी पर्व को लेकर आज शुक्रवार को शहर हो या गांव हर जगह खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। ऐसे में जहां एक तरफ बाजारों में भीड़ देखने को मिल रही है तो वहीं दूसरी तरफ जिले के 46 स्थलों पर रावण दहन की तैयारी पूरी कर ली गई। सबसे अधिक उत्साह ऊंचाहार …

रायबरेली। विजयदशमी पर्व को लेकर आज शुक्रवार को शहर हो या गांव हर जगह खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। ऐसे में जहां एक तरफ बाजारों में भीड़ देखने को मिल रही है तो वहीं दूसरी तरफ जिले के 46 स्थलों पर रावण दहन की तैयारी पूरी कर ली गई। सबसे अधिक उत्साह ऊंचाहार में देखने को मिल रहा है जहां 28 साल बाद दशहरा मेला लगा है। शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में लगे दशहरे के मेले में सुबह से ही लोगों ने खरीददारी शुरू कर दी है। शहर के सुरजूपुर और खालीसहाट में रावण के 35 फीट से अधिक ऊंचे पुतले बनाए गए हैं।

सुरजूपुर की रामलीला 200 साल पुरानी है। विजयदशमी को लेकर जिले भर में भव्य आयोजन की तैयारियां की गईं हैं। वहीं पुलिस महकमे ने सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम किया है। शहर के सुरजूपुर में शुक्रवार को भव्य आयोजन होगा। खालीसहाट में भी मेले के बाद रावण वध होगा। इस बार यहां भव्य आयोजन की तैयारी है। सीओ सदर महिपाल पाठक व सदर कोतवाल अतुल सिंह ने बताया कि सुरजूपुर और खालीसहाट में सुरक्षा व्यवस्था के पूरे प्रबंध कर दिए गए हैं। मेला परिसर में पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया गया है।

सातवीं पीढ़ी करेगी रामलीला

खैरहनी पहाड़गढ़ की रामलीला व विजयदशमी का पर्व रायबरेली के सुरजूपुर के बाद दूसरे नंबर पर है। यहां पर राजेंद्र त्रिपाठी की
सातवीं पीढ़ी रामलीला करेगी। राजेंद्र का कहना है कि कई पीढ़ियों से उनका खानदान ही विजयदशमी पर रामलीला करता है। यह परंपरा चली आ रही है, इसलिए आज भी परंपरा को कायम किए हैं। परिवार के सारे सदस्य विजय दशमी पर इस कार्यक्रम में भाग लेते हैं।

1884 से हो रहा रामलीला का मंचन

वर्ष 1884 से सलोन ब्लॉक के खैरहनी पहाड़गढ़ में रामलीला और विजय दशमी का पर्व मनाया जा रहा है। यहां आठ लाख रुपये से अधिक धनराशि खर्च करके रावण की मूर्ति बनवायी गई है। बगल में ही अयोध्यापुरी भी बनी है। यहां मूर्तियां स्थापित की गई है। कोरानाकाल के कारण आसपास के जिलों के लोग पिछले दो साल से नहीं आ रहे हैं इसके पहले प्रतापगढ़, प्रयागराज, उन्नाव, कानपुर आदि जिलों से लोग और दुकानदार यहां आते थे।

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