वाराणसी की प्रसिद्ध लेखिका सूर्यबाला को मिलेगा 15 वां ‘उदयराज सिंह स्मृति सम्मान’
वर्ष 1950 से निरंतर प्रकाशित हो रही चर्चित साहित्यिक पत्रिका ‘नई धारा’ ने 2021 के लिए अपने पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। नई धारा’ के प्रधान संपादक डॉ. प्रमथराज सिंह ने पुरस्कारों की घोषणा करते हुए बताया कि वर्ष 2021 का पन्द्रहवां ‘उदयराज सिंह स्मृति सम्मान’ प्रसिद्ध लेखिका सूर्यबाला को दिया जाएगा, जिसके तहत …
वर्ष 1950 से निरंतर प्रकाशित हो रही चर्चित साहित्यिक पत्रिका ‘नई धारा’ ने 2021 के लिए अपने पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। नई धारा’ के प्रधान संपादक डॉ. प्रमथराज सिंह ने पुरस्कारों की घोषणा करते हुए बताया कि वर्ष 2021 का पन्द्रहवां ‘उदयराज सिंह स्मृति सम्मान’ प्रसिद्ध लेखिका सूर्यबाला को दिया जाएगा, जिसके तहत उन्हें 1 लाख रुपए समेत सम्मान पत्र, प्रतीक चिह्न आदि भेंट किए जाएंगे।
इसके साथ ही लेखक विनोद कुमार सिन्हा (सीतामढ़ी), चर्चित लेखिका और भारतीय विदेश सेवा की वरिष्ठ अधिकारी अंजू रंजन (जोहान्सबर्ग) तथा चर्चित तेलुगु कवि डॉ. याकूब (हैदराबाद) वर्ष-2021 के ‘नई धारा रचना सम्मान’ से नवाजे जाएंगे I इन तीनों को 25-25 हजार रुपए समेत सम्मान-पत्र, प्रतीक चिह्न आदि भेंट किए जाएंगे।
डॉ. प्रमथराज सिंह ने बताया कि सम्मानों के चयन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवास राव की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी, जिसके अन्य सदस्य थे, दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. श्योराज सिंह ‘बेचैन’ तथा सुप्रतिष्ठ लेखक डॉ. हरिसुमन बिष्ट (दिल्ली)। समिति को ‘नई धारा’ में अप्रैल, 2020 से मार्च, 2021 तक के अंकों में प्रकाशित रचनाओं में से ही रचनाकारों का चयन करना था।
‘नई धारा’ के संपादक डॉ. शिवनारायण ने बताया कि वर्ष 2021 के सम्मान समारोह का आयोजन एक दिसम्बर, 2021 को पटना में किया जाएगा, जिसमें सभी रचनाकारों को सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बीते 72 वर्षों से निरंतर प्रकाशित हो रही ‘नई धारा’ में सम्मानों का आरंभ 2007 से हुआ।
यह सम्मान अब तक सर्वश्री रामदरश मिश्र, हिमांशु जोशी, कुंवर नारायण, चित्रा मुद्गल, विवेकी राय, महीप सिंह, विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, अशोक चक्रधर, केदारनाथ सिंह, मैत्रेयी पुष्पा, मृदुला सिन्हा, मैनेजर पाण्डेय, नरेश सक्सेना एवं चंद्रशेखर कंबार आदि साहित्यकारों को दिए जा चुके हैं।
यह भी पढ़े-
तुलसीदास निराला की सूक्ष्म और जटिल कलाकारिता का अन्तिम सोपान है…