बरेली: दवा व्यापारी खाद्य पदार्थों का अलग बिल देने को नहीं तैयार
बरेली, अमृत विचार। खाद्य पदार्थ बेचने के लिए फूड लाइसेंस बनवाने और उनका बिल अलग से देने के एफएसडीए के नए नियम को लेकर दवा व्यापारी विरोध में उतर आए हैं। उनका कहना है कि दवा और खाद्य पदार्थ का अलग बिल देना मुश्किल है, क्योंकि डाक्टर एक ही पर्चे पर दोनों ही चीजें लिखते …
बरेली, अमृत विचार। खाद्य पदार्थ बेचने के लिए फूड लाइसेंस बनवाने और उनका बिल अलग से देने के एफएसडीए के नए नियम को लेकर दवा व्यापारी विरोध में उतर आए हैं। उनका कहना है कि दवा और खाद्य पदार्थ का अलग बिल देना मुश्किल है, क्योंकि डाक्टर एक ही पर्चे पर दोनों ही चीजें लिखते हैं।
हालांकि, नए नियम लागू होने की तारीख दिसंबर थी लेकिन इसे बढ़ाकर एक जनवरी 2022 कर दिया गया है। नए नियम में दवा दुकानों पर खाद्य उत्पादों की अलग से रैक बनाने की बात भी कही गई है लेकिन काफी संख्या में दवा कारोबारियों के पास फूड लाइसेंस और पंजीकरण भी नहीं हैं। इसके लिए एफएसडीए शिविर लगाने की बात कह रहा है।
सालाना 12 लाख से कम फूड आइटम की बिक्री पर पंजीकरण करना होता है जिसका शुल्क 100 रुपये है। पांच साल तक का रजिस्ट्रेशन एक बार में भी करा सकते हैं। 12 लाख से ऊपर की खाद्य उत्पादों की बिक्री पर लाइसेंस की प्रक्रिया है जिसका सालाना शुल्क 2000 रुपये है।
पांच साल तक का लाइसेंस बनवाने के लिए शुल्क 10,000 रुपये देना होता है। दरअसल मेडिकल स्टोर्स पर ग्लूकोज पाउडर, च्वनप्राश जैसे उत्पादों की बिक्री भी होती है जिसके लिए फूड लाइसेंस लेने की अनिवार्यता पहले से ही है मगर अब इनके बिल भी अलग देने होंगे। दवा कारोबारियों का कहना है कि खाद्य उत्पादों के लिए अलग बिल बनाना संभव भी नहीं है।
दूसरी तरफ अभी तक कितने दवा व्यापारियों के फूड लाइसेंस नए बने, इसका आंकड़ा भी एफएसडीए के पास पुख्ता तौर पर मौजूद नहीं है। जिला अभिहित अधिकारी धर्मराज मिश्रा की माने तो पिछले महीने कुल 930 पंजीकरण हुए और 81 फूड लाइसेंस बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि खाद्य उत्पादों के लिए अलग से बिल देने की तिथि को भी तीन महीने आगे बढ़ा दिया गया है।
दवा की दुकानों में कई प्रकार के उत्पाद होते हैं। दवाइयों को वर्णानुसार रखा जाता है। खाद्य उत्पादों के लिए अलग रैक बनाना और इनके लिए अलग से बिल देना काफी मुश्किल काम है। -रितेश मोहन गुप्ता, केमिस्ट एसोसिएशन, महासचिव
खाद्य उत्पादों के लिए अलग से बिल देने का हम विरोध करते हैं। कई बार लोगों को बीमा कंपनी से क्लेम लेने के लिए बिल की आवश्यकता पड़ती है। डाक्टर के एक पर्चे के लिए दो बिल पेश करने पड़ेंगे। डाक्टर को भी अलग-अलग पर्चों पर दोनों प्रकार के उत्पाद लिखकर देने चाहिए। -दुर्गेश खटवानी,ड्रगिस्ट एवं केमिस्ट एसो. महानगर अध्यक्ष
