यूपी: वरिष्ठ आईएएस इफ्तिखारुद्दीन की खाली कुर्सी पर बैठे आरके सिंह, जानें क्यों?
लखनऊ। धर्मांतरण को बढ़ावा देने के आरोपी परिवहन निगम के चेयरमैन मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन जांच शुरू होते ही अपने मूल निवास बिहार के सीवान जिले चले गए हैं। जहां से उन्होंने चिकित्सकीय अवकाश ले लिया है, उनकी जगह प्रमुख सचिव परिवहन आरके सिंह ने परिवहन निगम का चार्ज संभाल लिया है। 14 फरवरी 2020 को परिवहन …
लखनऊ। धर्मांतरण को बढ़ावा देने के आरोपी परिवहन निगम के चेयरमैन मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन जांच शुरू होते ही अपने मूल निवास बिहार के सीवान जिले चले गए हैं। जहां से उन्होंने चिकित्सकीय अवकाश ले लिया है, उनकी जगह प्रमुख सचिव परिवहन आरके सिंह ने परिवहन निगम का चार्ज संभाल लिया है। 14 फरवरी 2020 को परिवहन निगम चेयरमैन का कार्यभार संभालने वाले वरिष्ठ आईएएस इफ्तिखारुद्दीन का नाम इन दिनों धर्मांतरण को प्रोत्साहित करने वाले उनके वीडियो को लेकर है।
कानपुर में लंबी तैनाती के दौरान उनके कई वीडियो सामने आए, जिनकी शिकायत जब ट्वीटर पर हुई तो मुख्यमंत्री ने इसकी जांच एसआईटी से प्रारंभ करवा दी। सितंबर माह के अंत में जैसे ही यह जांच शरू हुई इफ्तिखारुद्दीन अचानक अपने गांव लौट गए। वे बिहार में सीवान जिले के रहने वाले हैं। वहीं से उन्होंने अपने चिकित्सकीय अवकाश का पत्र भेज दिया और एसआईटी के नोटिस का जवाब तक नहीं दिया। उनकी अनुपस्थिति में प्रमुख सचिव परिवहन आरके सिंह परिवहन निगम के चेयरमैन का कार्य देखेंगे।
शिकायतकर्ता से एसआईटी ने की डेढ़ घंटे पूछताछ
कानपुर निवासी भाजपा नेता भूपेश अवस्थी ने इफ्तिखारुद्दीन के वीडियो काे ट्वीट करके इस मामले को उछाला था। ऐसे में एसआईटी ने रविवार को उन्हें बुलाकर करीब डेढ़ घंटे पूछताछ की। एसआईटी ने उनसे पूछा कि आखिर उन्हें यह वीडियो हासिल कहां से हुए? इन वीडियो में आपत्तिजनक क्या था? साथ ही यह भी पूछा कि उन्होंने इसकी शिकायत न करके सीधे ट्वीट क्यों किया? प्रारंभिक जांच में इस तरह के अनेक सवाल अवस्थी से किए गए। भूपेश अवस्थी ने बताया कि वे सारी जानकारी एसआईटी को दे चुके हैं। यदि आगे भी जांच में उनकी जरूरत पड़ेगी तो वे प्रस्तुत रहेंगे।
दो धार्मिक पुस्तकें लिखीं, जिन्हें बंटवाते थे
इफ्तिखारुद्दीन ने हिंदी में शुद्ध उपासना तथा नमन और शुद्ध भक्ति नाम से दो किताबें लिखी हैं। आरोप है कि अपने करीबियों वे वे इन्हें बंटवाते थे। इनमें इस्लाम के बारे में प्रेरित करने वाली बातें लिखीं हैं।
सपा-बसपा दोनों सरकारों में कानपुर में डटे रहे
इफ्तिखारुद्दीन की तैनाती बसपा शासन में वर्ष 2007 में निदेशक उद्योग के रूप में कानपुर में हुई थी। पूरे बसपा शासनकाल और फिर सपा शासनकाल में उन्हें कानपुर से नहीं हटाया गया। यहां वे दो बार मंडलायुक्त से लेकर श्रमायुक्त और एमडी केस्को जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे। भाजपा सरकार में 2017 में उनका तबादला लखनऊ हुआ।
कपड़ों से झलकती है धार्मिक कट्टरता
इफ्तिखारुद्दीन के पहनावे और रहन-सहन से भी धार्मिक कट्टरता दिखती है। चेहरे पर लंबी दाढ़ी और टखने से थोड़ी ऊपर उठी पैंट उन्हें अन्य अफसरों से अलग दिखाती थी।
कब किस विभाग में रहे इफ्तिखारुद्दीन…
- – 1989 में देहरादून विकास प्राधिकरण में उपाध्यक्ष के रूप में पहली तैनाती
- – 1990 में चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संयुक्त सचिव
- – 1992 में अपर आयुक्त आबकारी प्रयागराज
- – 1993 में यूपी स्टेट लेदर डिवेलपमेंट एंड मार्केटिंग कॉर्पोरेशन आगरा के एमडी
- – 1993 में ही सिंचाई विभाग में संयुक्त सचिव
- – 1994 में सुल्तानपुर के डीएम
- – 1995 में तकनीकी शिक्षा में विशेष सचिव फिर डीएम बहराइच
- – पांच महीने बाद अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक
- – 1996 में उत्तर प्रदेश विजिलेंस के विशेष सचिव फिर डीएम फर्रुखाबाद, डीएम आजमगढ़ व सुल्तानपुर भी रहे
- – 2007 में निदेशक उद्योग कानपुर बने और दस साल जिले में तैनात रहे। दो बार कानपुर मंडलायुक्त बने।
- – 2017 खेलकूद और आरईएस विभाग में अपर मुख्य सचिव
- – 14 फरवरी 2020 को उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम के चेयरमैन
