बरेली: ऑनलाइन हदिया हो रहे आला हजरत और गौस-ए-आजम की गुंबद के साफे

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बरेली, अमृत विचार। दरगाह की ओर से अपने-अपने शहरों में रहकर ऑनलाइन उर्स का कार्यक्रम सुनने की अपील की गई है। तो दूसरी तरफ विदेशों और देश के अलग-अलग राज्यों से आने वाले जायरीन के नहीं पहुंचने से दरगाह के दुकानदार मायूस थे लेकिन ऑनलाइन हो रही बिक्री ने दुकानदारों को थोड़ी राहत दी है। …

बरेली, अमृत विचार। दरगाह की ओर से अपने-अपने शहरों में रहकर ऑनलाइन उर्स का कार्यक्रम सुनने की अपील की गई है। तो दूसरी तरफ विदेशों और देश के अलग-अलग राज्यों से आने वाले जायरीन के नहीं पहुंचने से दरगाह के दुकानदार मायूस थे लेकिन ऑनलाइन हो रही बिक्री ने दुकानदारों को थोड़ी राहत दी है। यूं तो दरगाह पर हर साल नए-नए तरह के आइटम बेचने के लिए दुकानदार मंगाते हैं। मगर इस बार आला हजरत और बगदाद स्थित गौस-ए-आजम के रौजे की गुंबद के डिजाइन वाले साफे की ऑनलाइन खूब डिमांड है।

मकतबा ताजुश्शरिया के मोहिब रजा ने बताया कि उन्होनें खास तौर से उर्स-ए-रजवी के लिए आला हजरत और गौस-ए-आजम की गुंबद के डिजाइन वाले साफे आर्डर देकर बनवाए हैं। गुजरात, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, नागपुर, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से इन साफों की ऑनलाइन डिमांड आ रही है। मकतबा पर भी यह साफे उपलब्ध हैं। उन्होनें बताया कि ऐसा पहली बार है कि उर्स-ए-रजवी के दौरान आला हजरत की सफेद काली धारी दार गुंबद के डिजाइन और गौस-ए-आजम के फूलदार नीले गुंबद के डिजाइन में प्रिंटेड साफे बाजार में उतरे हैं।

इसकी कीमत 350 से 400 रुपए तक है। साफो की अगर बात की जाए तो ताजुश्शरिया वाले साफे की खूब डिमांड रहती है। उन्होनें बताया कि अकीदतमंद इस बार उर्स में नहीं आ पा रहे तो वह ऑनलाइन ही काफी चीजें हदिया कर रहे हैं। इसके अलावा ताजुश्शरिया की टोपियां, बरकाती टोपियां, लैंप, तस्वीह, हाथ और दीवार की घड़ियों की खूब बिक रही हैं।

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