बरेली: शहर के 24 विद्यालयों में खेल मैदान बनाने की जगह तक नहीं

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बरेली, अमृत विचार। शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद कक्षा 1 से 8 तक के स्कूलों में खेल मैदान का होना जरूरी है लेकिन शहर के 24 विद्यालय ऐसे हैं जहां खेल मैदान ही नहीं है और जिन स्कूलों में खेल मैदान हैं उन मैदानों को शिक्षा विभाग विकसित करने का दम तक …

बरेली, अमृत विचार। शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद कक्षा 1 से 8 तक के स्कूलों में खेल मैदान का होना जरूरी है लेकिन शहर के 24 विद्यालय ऐसे हैं जहां खेल मैदान ही नहीं है और जिन स्कूलों में खेल मैदान हैं उन मैदानों को शिक्षा विभाग विकसित करने का दम तक नहीं भर रहा। ऐसे में स्कूल की चाहरदीवारी में प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं।

जिले के ज्यादातर विद्यालय किराए के भवनों में चल रहे हैं। इसलिए इन विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के पास खेलने के लिए कोई जगह नहीं है। अगर विद्यालयों में खेल के मैदान हों तो ज्यादातर बच्चे खेल सीख सकते हैं। भविष्य में देश के लिए खेलकर मेडल भी दिला सकते हैं लेकिन खेल मैदान के अभाव में प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो वहां ज्यादातर स्कूलों में खेल के मैदान के लिए जगह है लेकिन कायाकल्प के तहत चल रहे कार्य में विभागीय अधिकारियों ने खेल मैदान को विकसित नहीं करवाया। जबकि, आरटीई के तहत प्रत्येक स्कूल में खेल मैदान अनिवार्य है। कक्षा एक से 8 तक के स्कूलों में कम से कम दो प्रकार के खेल मैदान पर बच्चों को खिलाया जाना आवश्यक है। इनमें कबड्डी, बैंडमिंटन शामिल हैं लेकिन शहर में ऐसे स्कूल कम ही हैं, जिनमें नियमों के मुताबिक खेल अनुसार मैदान हो।

शहर के स्कूलों का हाल

कंपोजिट उच्च प्राथमिक विद्यालय मॉडल किशोर बाजार
इस स्कूल को स्मार्ट तो बना दिया गया है। विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई के लिए प्रोजेक्टर लग गए हैं जिसमें विभाग ने अच्छा काम किया है। खेल मैदान की बात करें तो यहां पर प्रार्थना सभा के लिए भी छात्रों के पास जगह नहीं है। विद्यालय में करीब 312 छात्र- छात्राएं प्रवेश ले चुके हैं।

कंपोजिट प्राथमिक विद्यालय खुर्रम गौटिया
इस स्कूल में छात्र-छात्राओं को प्रार्थना करने तक की जगह नहीं है। छात्रों को सुबह प्रार्थना के लिए काफी दिक्कत झेलनी पड़ती है। विद्यालय में 90 से अधिक छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं लेकिन उन्हें खेल के मैदान की जगह कमरों में खेलना पड़ रहा है।

प्राथमिक विद्यालय काजी टोला विद्यालय
विद्यालय में जगह कम होने के कारण दो मंजिला भवन बना है। कायाकल्प के मामले में विद्यालय की स्थिति बहुत अच्छी है लेकिन विद्यालय में पढ़ रहे 126 छात्र- छात्राओं के लिए खेल के मैदान नहीं है, जिससे छात्र सिर्फ कैरम और लूडो खेल कर काम चला रहे हैं। प्रदेश के लिए रोल मॉडल कहे जाने वाले कंपोजिट विद्यालय जसोली में भी खेल का मैदान नहीं है। यहां करीब 1650 छात्र-छात्राओं के नामांकन हैं।

इन 24 विद्यालयों में विकसित किए जा सकते हैं खेल के मैदान
एसआरजी डा. अनिल चौबे ने बताया कि प्राथमिक विद्यालय, वंडिया, खना गौंटिया, ट्यूलिया, वेनीपुर चौधरी, हरूनगला द्वितीय, मथुरापुर, परसा खेड़ा द्वितीय, सनैय्या रानी मेवाकुवर, सरनियां, पीरबहोड़ा, रहपुरा चौधरी, एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालय बालजती, चौधरी मोहल्ला, हरुनगला प्रथम, हरुनगला द्वितीय, जखीरा, खड़ौआ प्रथम, खड़ौआ द्वितीय, मल्टी स्टोरी बाकरगंज, रहपुरा चौधरी, सैदपुर हॉकिन्स, सिठौरा, सुभाषनगर, टियूलिया इन विद्यालयों में खेल के मैदान विकसित करने के जगह पर्याप्त है।

जिन विद्यालयों में खेल के मैदान की जगह है, वहां के विद्यालयों में खेल के मैदान विकसित कराए जा रहे हैं। -विनय कुमार, बेसिक शिक्षा अधिकारी

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