गोरखपुर: तंजीम दावते इस्लामी हिन्द ने अवाम को सिखाया कफ़न-दफ़न का तौर-तरीका

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गोरखपुर। कोरोना काल में मरने के बाद मुस्लिम रीति रिवाज से कफ़न-दफ़न (अंतिम संस्कार) में मुश्किलें आ रहीं थीं। कफ़न-दफ़न करने से लोग झिझक महसूस कर रहे थे। ऐसे समय में तंजीम दावते इस्लामी हिन्द ने नुमाया किरदार अदा कर कफ़न-दफ़न में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेकर अवाम का दिल जीत लिया। साथ ही अवाम को …

गोरखपुर। कोरोना काल में मरने के बाद मुस्लिम रीति रिवाज से कफ़न-दफ़न (अंतिम संस्कार) में मुश्किलें आ रहीं थीं। कफ़न-दफ़न करने से लोग झिझक महसूस कर रहे थे। ऐसे समय में तंजीम दावते इस्लामी हिन्द ने नुमाया किरदार अदा कर कफ़न-दफ़न में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेकर अवाम का दिल जीत लिया। साथ ही अवाम को कफ़न-दफ़न का तौर-तरीका सीखने की मुहीम चलाई। जो आज भी बहुत ही कामयाबी के साथ अलग-अलग मस्जिदों में चल रही है। मुहीम कोरोना काल से गोरखपुर, बस्ती व आजमगढ़ मंडल के आठ जिलों में जारी है।

मस्जिद जाकर अवाम को संवाद, किताब, एप और प्रैक्टिकल के जरिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। मुहीम में अवाम भी खासा दिलचस्पी ले रही है। पहले शहर में चंद लोग कफ़न-दफ़न करने वाले हुआ करते थे। प्रशिक्षण के बाद आज यह तादाद काफी बढ़ गई है। तंजीम से जुड़ी महिलाएं भी कफ़न-दफ़न मुहीम में हिस्सा लेकर मुस्लिम महिलाओं को कफ़न-दफ़न का तौर-तरीका सीखा रही हैं।

पूर्वांचल में कफ़न-दफ़्न शाखा की अगुवाई कर रहे 32 साल मोहम्मद शहाबुद्दीन अत्तारी ने बताया कि गोरखपुर शहर के खूनीपुर, अंधियारीबाग, रसूलपुर, मियां बाजार, बुलाकीपुर सहित तमान मोहल्लों की मस्जिदों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 45 मिनट के प्रशिक्षण में अवाम को कफ़न-दफ़्न का विशेषज्ञ बनाया जा रहा है। अवाम प्रशिक्षण में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही है। प्रशिक्षण पूरी तरह नि:शुल्क है। संवाद, एप, किताब व प्रैक्टिकल के जरिए कफ़न-दफ़्न का मुकम्मल तौर-तरीका सिखाया जा रहा है। प्रशिक्षण के बाद अवाम का टेस्ट भी लिया जा रहा है।

तंजीम ने कफ़न-दफ़न के लिए हेल्पलाइन नम्बर भी जारी किया है। इसके अलावा कफ़न-दफ़न से संबंधित एप भी लांच किया गया है। हिन्दी व उर्दू में कफ़न-दफ़नसे संबंधित किताबें भी अवाम को दी जा रही हैं। कफ़न-दफ़नका प्रशिक्षण ऑनलाइन भी करवाया जा रहा है। अभी तक सैकड़ों लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। यह सिलसिला जारी है। कफ़न-दफ़्न प्रशिक्षण में शरीअत के हिसाब से मय्यत के गुस्ल (स्नान) से लेकर कफ़न काटने, कफ़न पहनाने, नमाज़े जनाज़ा, कब्र में दफ़्न करने आदि का तरीका बताया जा रहा है।

 

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