लखनऊ: फर्जी फर्म बनाकर लगा रहे थे जीएसटी का चूना, जांच में हुआ खुलासा

Amrit Vichar Network
Published By Amrit Vichar
On

लखनऊ। टैक्स चोरी के धंधे में लगे व्यापारी बोगस फर्म बनाकर वाणिज्य कर विभाग को जीएसटी का चूना लगा रहे हैं। क्रेता और विक्रेता तीनों फर्मे जांच कराने पर फर्जी निकलीं। यह खुलासा वाणिज्य कर विभाग के एक महीने के विशेष अभियान में हुआ है। विभाग द्वारा संवेदनशील वस्तुओं जैसे पान मसाला, सुपारी, तंबाकू आदि …

लखनऊ। टैक्स चोरी के धंधे में लगे व्यापारी बोगस फर्म बनाकर वाणिज्य कर विभाग को जीएसटी का चूना लगा रहे हैं। क्रेता और विक्रेता तीनों फर्मे जांच कराने पर फर्जी निकलीं। यह खुलासा वाणिज्य कर विभाग के एक महीने के विशेष अभियान में हुआ है। विभाग द्वारा संवेदनशील वस्तुओं जैसे पान मसाला, सुपारी, तंबाकू आदि में कर चोरी पर अंकुश लगाने के लिए कमिश्नर के निर्देश पर यह कार्रवाई की जा रही है।

ज्वाइंट कमिश्नर एसआईबी रेंज बी अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि वाणिज्य कर विभाग की सचल दल इकाइयों को ट्रैकिंग के आधार पर यह सूचना मिली थी कि आसाम की फर्म ज्वाय नारायन इंटरप्राइजेज द्वारा सुपारी की गाड़ी यूपी 32 केएन 2356 लखनऊ के विकास नगर स्थित विनायक ट्रेडिंग कंपनी और दूसरी गाड़ी एनएल 01 एसी 8162 उन्नाव स्थित बालाजी इंटरप्राइजेज भेजी जा रही थीं। सचल दल इकाइयों के रडार पर ये दोनों कंपनियां पहले से थीं। दोनों गाड़ियां मंगाये गए पते पर ना जाकर ऐशबाग क्षेत्र में पहुंच गयीं, जहां इन्हें सचल दल प्रथम एवं द्वितीय इकाइयों ने रोक लिया। यूपी की दोनों फर्मों की जब जांच करायी गयी तो दोनों फर्में फर्जी पायी गयीं। जिस पर एक गाड़ी से 38 लाख और दूसरी गाड़ी से 41 लाख रुपये कुल 79 लाख रुपये टैक्स, अर्थदंड और जुर्माने के रूप में वसूले गए।

अधिवक्ताओं ने दिया फर्जी वकालतनामा

ज्वाइंट कमिश्नर अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि आसाम की फर्म ज्वाय नारायन इंटरप्राइजेज की ओर से कानपुर के अधिवक्ताओं ने स्कैन किया हुआ वकालतनामा प्रस्तुत कर कहा कि माल वापस आसाम ले जाना चाहते हैं। तब आसाम की फर्म की जांच करायी गयी। जांच में विमल दास लश्कर नामक व्यक्ति मिला। जिसने कहा कि मैंने कभी सुपारी भेजी ही नहीं और ना ही बिजनेस किया। किसी भी वकालतनामे पर मैंने हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि कुछ अधिवक्ता भी इसमें शामिल हैं।

करोड़ों के ई-वे बिल जारी कर भाग जाती हैं फर्में

ज्वाइंट कमिश्नर अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि सचल दल इकाइयों की जांच में प्राय: यह पाया जा रहा है कि ज्यादातर फर्मों को कुछ दिनों पहले ही जीएसटी पंजीयन जारी किया गया है। एक ही महीने में इन फर्मों द्वारा करोड़ों रुपये के ई—वे बिल जारी कर दिये जाते हैं और इसके बाद फर्में व्यापार बंद करके भाग जाती हैं। पान मसाला और सुपारी से संबंधित अधिकांश फर्में केंद्रीय जीएसटी से संबंधित होती हैं। इन्हें बिना जांच के ही पंजीयन जारी कर दिया जाता है। केंद्रीय जीएसटी विभाग द्वारा अपने नये पंजीयन की मॉनीटरिंग नहीं की जाती है, जिसका व्यापारी फायदा उठाते हैं।

संबंधित समाचार