बरेली: नए सत्र में पहली बार स्कूल पहुंचे छात्र
बरेली, अमृत विचार। कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद से बंद चल रहे परिषदीय स्कूल भी मंगलवार से खुल गए। नए सत्र में पहली बार कक्षा छह से लेकर आठ तक के छात्र स्कूल पहुंचे। निजी स्कूलों में तो छात्रों की संख्या ठीक रही लेकिन सरकारी स्कूलों में छात्रों ने रेनी डे मनाया। वहां …
बरेली, अमृत विचार। कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद से बंद चल रहे परिषदीय स्कूल भी मंगलवार से खुल गए। नए सत्र में पहली बार कक्षा छह से लेकर आठ तक के छात्र स्कूल पहुंचे। निजी स्कूलों में तो छात्रों की संख्या ठीक रही लेकिन सरकारी स्कूलों में छात्रों ने रेनी डे मनाया। वहां काफी कम संख्या में छात्र पहुंचे। वहीं, काफी दिन बाद मोबाइल से पढ़ाई से निजात मिलने से छात्रों के चेहरे भी खिले नजर आए।
परिषदीय विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों ने कहा कि छात्र-छात्राओं को स्कूल आने की सूचना दी गई थी। बावजूद छात्र स्कूल में कम आए हैं। शासन के निर्देश के बाद भी अभिभावकों के बीच कोविड का डर है। अभिभावकों का कहना है कि वह माहौल देखने के बाद ही बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर फैसला लेंगे।
बिना किताबों के कैसे पढ़ पाएंगे छात्र
जिले के सभी परिषदीय स्कूलों में अभी तक सभी छात्र-छात्राओं को किताबें नहीं मिल पाई हैं। पहले दिन 6 से 8 वीं के कई छात्र-छात्रा बिना किताबों के ही स्कूल पहुंचे। जिन स्कूलों में किताबें बाटीं भी गई हैं वहां पर पूरा कोर्स नहीं पहुंचा है। ऐसे में स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राएं अधूरे कोर्स से कैसे पढ़ाई कर पाएंगे।
गाइडलाइन तो बना दी पर पालन कराने के बारे में नहीं सोचा
मंगलवार से जब 6 से 8 वीं तक छात्र-छात्राओं को स्कूलों में बुलाया तो निजी स्कूलों ने कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए बच्चों को स्कूल में प्रवेश कराया लेकिन सरकारी विद्यालयों में शिक्षा विभाग की लापरवाही दिखी। शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को गाइडलाइन तो जारी कर दी लेकिन यह नहीं सोचा कि इसकी व्यवस्था कैसे कराई जाएगी।
इन स्कूलों में थर्मल स्कैनिंग मशीन तक मौजूद नहीं थी। प्रधानाध्यापकों ने बताया कि विभाग की ओर से कोई चीज मुहैया नहीं कराई गई है जिससे हम गाइडलाइन का पालन कर सकें। उन्होंने कहा कि हमने निजी पैसों से ही सेनेटाइजर को बाजार से खरीदा है जिससे अधिकारी आएं तो कार्रवाई से बचा जा सका। गांव के स्कूलों को सेनेटाइजेशन की जिम्मेदारी प्रधानों को सौंपी गई थी लेकिन प्रधानों की ओर से स्कूलों को सेनेटाइज नहीं किया गया है।
जिलाधिकारी के आदेश का नहीं किया गया पालन
जिलाधिकारी नीतीश कुमार ने जिले के सभी स्कूलों की साफ-सफाई और सेनेटाइजेशन के लिए जिला पंचायत राज अधिकारी को पत्र जारी कर सभी ग्राम प्रधानों से स्कूलों की सफाई और सेनेटाइजेशन कराने के लिए कहा था लेकिन ग्राम प्रधानों की ओर से स्कूलों में सेनेटाइजेशन नहीं किया गया।
चिकित्सीय सुविधा के लिए विद्यालय में स्वास्थ्य कर्मी, नर्स आदि से छात्र-छात्राओं की शारीरिक और मानसिक स्थिति को जांचने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए थे। विद्यालयों में शिक्षकों और छात्र-छात्राओं की प्रतिदिन जांच करने एवं कोविड-19 रोकथाम के लिए निगरानी समिति के साथ समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिए थे लेकिन मंगलवार को स्कूल खुलने के बाद सभी व्यवस्थाएं नदारद मिली।
कई महीनों बाद स्कूल खुला है। स्कूल आकर अच्छा लगा। अब बस यही कहना चाहूंगा कि अब स्कूल बंद न हों। -रणबीर सक्सेना, कक्षा-8, विद्या भवन स्कूल
ऑनलाइन पढ़ाई तो करते थे लेकिन शिक्षक के सामने बैठकर पढ़ना अच्छा लगता है। कई दिनों से स्कूल खुलने का इंतजार कर रही थी। -इशाना, कक्षा- 6, विद्या भवन
स्कूल में आकर बहुत अच्छा लग रहा है। यहां साथियों और शिक्षकों के साथ पढ़ने की बात ही अलग है। -ईशा चतुर्वेदी, कक्षा- 8, बीबीएल डीडीपुरम
माता- पिता को कोविड की वजह से डर तो था लेकिन स्कूल की तैयारी को देखते हुए मुझे स्कूल भेजने का निर्णय लिया। – शुभ शंखधार, कक्षा 6, बीबीएल डीडीपुरम
नए स्कूल में आकर अच्छा लग रहा है। कई महीनों बाद तो स्कूल आने का मौका मिला है। माता-पिता से सहमति पत्र लेकर ही स्कूल आया हूं। -आयुष, कक्षा-8, बारी नगला उच्च प्राथमिक विद्यालय
कई महीनों के बाद स्कूल आया हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। शिक्षकों से काफी समय बाद ही मिलने को मिला है। -कविता, कक्षा-8, बारी नगला उच्च प्राथमिक विद्यालय
स्कूल में आकर अच्छा लग रहा है। नए दोस्त बनेंगे। उनके साथ में पढ़ने को मिलेगा। -अशी शर्मा, कक्षा 6, कंपोजिट उच्च प्राथमिक विद्यालय, बिथरी
माता पिता ने स्कूल आने की अनुमति दी है लेकिन ये कहा है कि सावधानी रखना, सभी बातें बताकर ही स्कूल भेजा है। -मोहम्मद असद, कक्षा- 7, कंपोजिट उच्च प्राथमिक विद्यालय, बिथरी
