मुरादाबाद: ऑनलाइन शिक्षा में लगातार मोबाइल व लैपटॉप के प्रयोग से बच्चों को जकड़ रहीं बीमारियां
मुरादाबाद,अमृत विचार। डेढ़ साल से कोरोना संक्रमण ने जिंदगियों को बेतरतीब कर दिया है। इससे बच्चे भी अछूते नहीं हैं। स्कूल व कालेज में कक्षाओं का संचालन बंद होने से ऑनलाइन शिक्षा आज के दौर की महती आवश्यकता बन गई है। कम उम्र के बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं में कई घंटे तक मोबाइल व कंप्यूटर पर …
मुरादाबाद,अमृत विचार। डेढ़ साल से कोरोना संक्रमण ने जिंदगियों को बेतरतीब कर दिया है। इससे बच्चे भी अछूते नहीं हैं। स्कूल व कालेज में कक्षाओं का संचालन बंद होने से ऑनलाइन शिक्षा आज के दौर की महती आवश्यकता बन गई है। कम उम्र के बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं में कई घंटे तक मोबाइल व कंप्यूटर पर चिपके रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। यह उनके भविष्य के लिए जरूरी तो है लेकिन इससे शारीरिक बीमारियों की चपेट में भी बच्चे तेजी से जकड़ रहे हैं।
कम उम्र के बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा से बढ़ रही समस्या किसी एक घर या परिवार की नहीं, यह घर-घर की कहानी बन गई है। चिकित्सक भी इससे हर दिन दो चार हो रहे हैं। अस्पतालों में ऑनलाइन कक्षा के दुष्परिणाम से प्रभावित बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
मोबाइल के लगातार प्रयोग से होने वाली दिक्कतें
1-मानसिक रूप से एकाग्रचित न होना, चिड़चिड़ापन
2-हाथ, पैर, गर्दन की नसों में कमजोरी
3-लगातार कई घंटे तक एक जगह पैठे रहने से मांसपेशियों में ऐंठन, दर्द
4-झुककर बैठने से कमर दर्द, पीठ दर्द, कंधे, हाथ, पैर व रीढ़ की हड्डी में दर्द
5-शारीरिक वर्क न होने व धूप में न निकलने से विटामिन डी की कमी
6-आंखों में चुभन, लालीपन, धुंधला दिखना व विजन की कमी
7-मोबाइल के लगातार प्रयोग से कान व आसपास के हिस्से में दर्द, भारीपन
8-श्रवण शक्ति में कमी, आवाज साफ न सुनाई देने की समस्या
केस एक
नवीन नगर निवासी 7 वर्षीय अंश, जो शहर के एक पब्लिक स्कूल में कक्षा तीन के छात्र हैं। ऑनलाइन कक्षा में मोबाइल के अधिक प्रयोग से उनके सिर में दर्द और स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया। जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेने पर उन्होंने एक नियमित अंतराल पर मोबाइल से दूर हो जाने, स्क्रीन को जूम करके देखने की सलाह दी।
केस दो
चक्कर के मिलक निवासी 12 वर्षीया श्वेता सिंह, कमर व पीठ में दर्द से परेशान है। उसने पिता के साथ जिला अस्पताल में आर्थो सर्जन के पास परामर्श लीं। डाक्टर ने सही तरीके से बैठने, थोड़े अंतराल पर उठकर टहलने व विटामिन डी की कमी को दूर करने को सुबह हल्की धूप में बैठने की सलाह दी।
बाजार में बढ़ रही संभावनाएं
ऑनलाइन कक्षाओं के संचालन से बच्चों में बढ़ रही बीमारियां बाजार में उत्पादकों को नए अवसर प्रदान कर रही हैं। बच्चों को बैठने के लिए ऊंची कुर्सी, टेबल, मोबाइल की स्क्रीन पर लगाने के लिए अतिरिक्त शीशे, जिससे लेटर फांट बड़ा दिखे। इन उत्पादों की बिक्री से कमाने का अवसर बाजार में बढ़ रहा है, लेकिन चिकित्सक ऐसे कृत्रिम उपकरणों के प्रयोग की बजाय प्राकृतिक तरीके से इसके निदान की सलाह दे रहे हैं।
जिले में स्कूलों की संख्या
बेसिक शिक्षा
प्राथमिक विद्यालय कक्षा एक से पांच -884
उच्च प्राथमिक विद्यालय कक्षा छह से आठ -232
कंपोजिट विद्यालय एक से आठ -292
सीबीएसई के कक्षा आठ तक स्कूल -45
डॉक्टर बोले :
मोबाइल के लगातार प्रयोग से बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हैं। मानसिक एकाग्रता खत्म हो रही है। कान से मोबाइल के सटाकर सुनने या हेडफोन लगाने से कान में दर्द उभर रहा है, जिससे श्रवण शक्ति में कमी और सिर में भारीपन की समस्या से ग्रसित बच्चे अधिक संख्या में आ रहे हैं। भूख में कमी व अपच की शिकायतें भी मिल रही हैं। बच्चों को मोबाइल का केवल कक्षा समय में प्रयोग करने की सलाह है। स्कूल प्रबंधन से अपील है कि वह दो कक्षाओं में कम से कम आधे घंटे समय का अंतराल रखें। –डॉ. वीर सिंह, बालरोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल
इन दिनों कई अभिभावक अपने बच्चों में मोबाइल या कंप्यूटर के लगातार प्रयोग से रीढ़ की हड्डी, पीठ व कमर दर्द की शिकायतें लेकर इलाज को आ रहे हैं। कोरोना के चलते करीब डेढ़ साल से बच्चे घरों की चहारदीवारी में ही कैद हैं, इसलिए उनमें कैल्शियम व विटामिन डी की कमी से हड्डी रोग की समस्या बढ़ रही है। मोबाइल, कंप्यूटर के सामने जितना जरूरी हो उतना ही समय दें। अभिभावक बच्चों पर पूरा ध्यान और निगरानी रखें। -डॉ. शेर सिंह कक्कड़, आर्थो सर्जन, जिला अस्पताल
