बरेली: ऑपरेशन से प्रसव के 18 दिन बाद ही दफ्तर का सौंपा काम

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बरेली, अमृत विचार। जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) में एक महिला कर्मी को मातृत्व अवकाश न देने का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहुंचने के बाद यह प्रकरण डूडा के साथ नगर निगम के अधिकारियों के भी गले की फांस बन गया है। अफसरों की संवेदनहीनता को उजागर करने वाले इस प्रकरण में यह भी सामने …

बरेली, अमृत विचार। जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) में एक महिला कर्मी को मातृत्व अवकाश न देने का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहुंचने के बाद यह प्रकरण डूडा के साथ नगर निगम के अधिकारियों के भी गले की फांस बन गया है। अफसरों की संवेदनहीनता को उजागर करने वाले इस प्रकरण में यह भी सामने आया है कि ऑपरेशन से प्रसव के महज 18 दिन बाद ही प्रसूता कर्मचारी को लिखित तौर से ऑफिस का काम सौंपा गया। पीड़ित महिला का आरोप है कि खुद अपनी व नवजात की देखभाल का हवाला देते हुए काम कर पाने में अक्षमता जाहिर की गई लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई।

डूडा में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएल) में सिटी मिशन मैनेजर मनोरमा बिष्ट को मातृत्व अवकाश न देने और पीड़ित महिला के इस मामले को लेकर हाईकोर्ट इलाहाबाद की शरण में चले जाने के बाद से अफसरों के बीच हड़कंप मचा हुआ है। इस प्रकरण में फंसे अधिकारी अपनी गर्दन बचाने में लगे हैं।

महिला कर्मी का कहना है कि 5 जनवरी 2021 को ऑपरेशन से उनकी डिलीवरी हुई थी लेकिन इसमें 18 दिन बाद ही डूडा के परियोजना अधिकारी (पीओ) शैलेंद्र भूषण ने उन्हें 23 जनवरी, 2021 को चिट्ठी जारी कर उन्हें दफ्तर का एक बड़ा काम सौंप दिया। पीओ ने एनयूएलएल के घटक एसएम एंड आईडी के तहत महिला कर्मी से कई बिंदुओं पर रिपोर्ट तत्काल उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए।

इसमें कामकारों के पंजीकरण के लिए पंजीकरण शुल्क का निर्धारण, उनके साथ बैठक व फोटोग्राफ, अवमुक्त धनराशि का उपयोग चालू वित्तीय वर्ष में न होने सहित दूसरी तमाम रिपोर्ट देने को कहा गया। जबकि महिला कर्मचारी का कहना है कि ऑपरेशन से हुए प्रसव और नवजात की देखभाल का हवाला देते हुए उन्होंने काम पर वापस आने में अक्षमता जाहिर की।

उनका आरोप है कि इसके बाद भी अधिकारियों ने नहीं सुनी, इस वजह से उन्हें हाईकोर्ट इलाहाबाद जाना पड़ा है। इधर, यह मामला सुर्खियों में आने के बाद डूडा के अधिकारी व उनके स्टाफ के बीच काफी खलबली मची हुई है।

बचाव के साथ कोर्ट में जवाब दाखिल करने की जुगत
अफसरों का कहना है कि संबंधित महिला कर्मी आउटसोर्सिंग एजेंसी से नियुक्त हैं लेकिन महिला कर्मी का कहना है कि 1961 एक्ट के तहत सभी महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश लेने का हक है। मामले के हाईकोर्ट के संज्ञान में लेने के बाद अधिकारी बचाव के साथ मांगे गए जवाब देने की जुगत में जुटे हैं। महिला कर्मी का कहना है कि इस संबंध में अफसरों के अवमानना करने का संज्ञान भी कोर्ट को दे दिया गया है।

मामले में मुंह खोलने से बच रहे अफसर
एक महिला कर्मी को मातृत्व अवकाश न देने के मामले में फजीहत झेल रहे अफसर अब मुंह खोलने को तैयार नहीं है। डूडा के परियोजना अधिकारी शैलेंद्र भूषण से इस संबंध में उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई लेकिन उनका फोन नहीं उठा। अपर नगर आयुक्त अजीत कुमार सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट ने जो भी जवाब मांगे हैं, उन्हें दे दिया गया है।

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