पूर्वांचल के अलावा बिहार और नेपाल के लिए वरदान सिद्ध होगा गोरखपुर एम्स

पूर्वांचल के अलावा बिहार और नेपाल के लिए वरदान सिद्ध होगा गोरखपुर एम्स

गोरखपुर। जटिल और गंभीर रोग से ग्रसित मरीजों को इलाज के लिये दिल्ली और मुबंई के बड़े अस्पतालों में ले जाने को विवश पूर्वांचल के लोगों को मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों गोरखपुर एम्स की सौगात किसी वरदान से कम नहीं होगी। अपने मरीजों को इलाज के लिये दिल्ली एम्स ले जाने वाले …

गोरखपुर। जटिल और गंभीर रोग से ग्रसित मरीजों को इलाज के लिये दिल्ली और मुबंई के बड़े अस्पतालों में ले जाने को विवश पूर्वांचल के लोगों को मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों गोरखपुर एम्स की सौगात किसी वरदान से कम नहीं होगी। अपने मरीजों को इलाज के लिये दिल्ली एम्स ले जाने वाले तीमारदार सर्दी, गर्मी और बरसात की परवाह किये बगैर अपने नम्बर के इंतजार में कई रातें फुटपाथों पर गुजारने को विवश होते रहे हैं।

गोरखपुर एम्स के अस्तित्व में आने से पूर्वांचल के साथ साथ बिहार और पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के लोगों को भी खासी सहूलियत होगी। 1998 से लगातार गोरखपुर से सांसद रहे गोरखपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ ने पूर्वांचल के लोगों की वेदना और गोरखपुर में एम्स स्थापित करने की मांग अनेक बार संसद में उठाई मगर उनकी आवाज 2014 में सुनी गई, जब देश की बागडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभाली। गोरखपुर में एम्स योगी की वर्षों की तपस्या का प्रतिफल है।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सात दिसंबर को एम्स के अलावा 8603 करोड़ रुपये की लागत से बन कर तैयार नई फर्टीलाइजर फैक्टरी का भी शुभारंभ करेंगे। गोरखपुर एम्स के शुरू होने से उच्च चिकित्सा सेवाओं के लिए पूरे क्षेत्र के लोगों को दिल्ली, मुम्बई में भटकना नही पड़ेगा और न ही महंगे निजी कॉरपोरेट हॉस्पिटल में जाने को मजबूर होना पड़ेगा।

वहीं, कई सर्वे और स्टडीज साबित करती हैं कि स्वास्थ्य पर होने वाले खर्चों की वजह से एक बहुत बड़ी जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे चली जाती है। पिछड़ा पूर्वांचल क्षेत्र भी इसी चक्रव्यूह में फंसा हुआ था। अब एक नई उम्मीदों का आकाश पूर्वांचल वासियों के सामने है। चिकित्सा और शिक्षा को नई ऊंचाई प्रदान करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री मोदी ने 22 जुलाई 2016 को गोरखपुर एम्स का शिलान्यास किया था।