चीन का मुकाबला करने को तैयार है अमेरिका, सहयोगियों की लेगा मदद

चीन का मुकाबला करने को तैयार है अमेरिका, सहयोगियों की लेगा मदद

वाशिंगटन। अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने शनिवार को कहा कि पेंटागन उच्च प्रौद्योगिकी प्रणालियों को विकसित करने के लिए निजी उद्योग के साथ मिलकर बेहतर तरीके से काम करने का इरादा रखता है और चीन पर प्रतिस्पर्धी बढ़त बनाए रखने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोगियों के साथ संबंध मजबूत करना चाहता है। …

वाशिंगटन। अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने शनिवार को कहा कि पेंटागन उच्च प्रौद्योगिकी प्रणालियों को विकसित करने के लिए निजी उद्योग के साथ मिलकर बेहतर तरीके से काम करने का इरादा रखता है और चीन पर प्रतिस्पर्धी बढ़त बनाए रखने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोगियों के साथ संबंध मजबूत करना चाहता है।

रक्षा मंत्री ने कैलिफोर्निया में ‘रीगन नेशनल डिफेंस फोरम’ में कहा कि क्षेत्र में और खासकर स्वशासी ताइवान के निकट चीन की सैन्य गतिविधियां और उसके आक्रामक कदम परेशान करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका लंबे समय से चली आ रही ‘एक चीन’ नीति को लेकर अब भी प्रतिबद्ध है तथा इसके साथ ही वह ताइवान को अपनी रक्षा करने में और सक्षम बनाना चाहता है।

ऑस्टिन ने कहा, ‘‘चीन की ओर से पेश चुनौती को हम साफ-साफ देख पा रहे हैं, लेकिन चीन का कद बड़ा नहीं है, कद अमेरिका का बड़ा है। अमेरिका ऐसा देश नहीं है जो प्रतिस्पर्धा से घबराता हो। हम इसे आत्मविश्वास और संकल्प के साथ पछाड़ेंगे। हम निराश नहीं होंगे और न ही घबराएंगे।’’

ऑस्टिन ने यह बात ऐसे समय में कही, जब चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक शक्ति से निपटने के लिए अमेरिका संघर्ष कर रहा है। चीन अंतरिक्ष, साइबर और परमाणु क्षमताओं के क्षेत्र में भी आगे बढ़ रहा है और अमेरिका उससे सीधा आमना-सामना होने से बच रहा है।

दोनों देशों के बीच तनाव तब और बढ़ गया, जब चीन ने ताइवान की ओर कई लड़ाकू विमान भेजे जिससे संभावित आक्रमण का भय बढ़ गया। अमेरिका और उसके सहयोगियों ने भी ताइवान जलडमरूमध्य की ओर युद्धपोत भेजे।

ऑस्टिन से पूछा गया कि ताइवान के इर्द गिर्द चीन की गतिविधियां क्या भविष्य में किसी सैन्य अभियान के लिए किए जा रहे प्रशिक्षण जैसी लग रही हैं, इस पर उन्होंने कहा कि निश्चित ही ऐसा लग रहा है जैसे कि वे अपनी वास्तविक क्षमताओं का पता लगाने का प्रयास कर रहे हों। ऑस्टिन ने कहा, ‘‘निश्चित ही ऐसा लग रहा है कि वे पूर्वाभ्यास कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि अमेरिका चीन के साथ संघर्ष नहीं चाहता है। अत: यह आवश्यक है कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच और संवाद हो तथा पारदर्शिता बनी रहे।

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