लखनऊ : सात माह से जंजीरों में जकड़ कर रखते थे परिजन, 14 दिन के इलाज में हुआ स्वस्थ

बलरामपुर अस्पताल के डॉक्टरों ने मनोरोगी युवक को दिया नया जीवन

 लखनऊ : सात माह से जंजीरों में जकड़ कर रखते थे परिजन, 14 दिन के इलाज में हुआ स्वस्थ

 लखनऊ, अमृत विचार । दिमागीय रूप से बीमार युवक की हरकतों से तंग आकर परिजन उसे जंजीरों से जकड़ कर रखने लगे। बीमारी इस हद तक बढ़ी कि वह घर वालों से भी अभद्रता करने लगा। हर समय जंजीरों को तोड़ने की कोशिश करता। परेशान होकर परिजन उसे लेकर बलरामपुर अस्पताल आए।

यहां डॉक्टरों ने 14 दिनों तक भर्ती रख कर उसका इलाज किया। मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है। उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। अस्पताल प्रशासन का दावा है कि आयुष्मान योजना के तहत पहली बार ऐसे मनोरोगी युवक का दवाओं से इलाज किया गया है।

हरदोई शाहाबाद के बाजिद नगर निवासी कल्लू गत 24 अप्रैल को बेटे सरवर (33) को बलरामपुर अस्पताल की मानसिक रोग ओपीडी में पत्नी जाफरी व चार अन्य परिवारीजनों के साथ लेकर पहुंचे। यहां मनोरोग डॉ. प्रवीन कुमार श्रीवास्तव के सामने जब मरीज पहुंचा तो वह हैरान रह गए। परिवारीजन सरवर के पैरों में लोहे की मोटी जंजीर बांधकर लाए थे। डॉ. प्रवीन के मुताबिक परिवारीजनों ने बताया कि सरवर लंबे समय से मानसिक रोगी था। पहले वह कुछ अजीब हरकते था। परिवारीजन उसका इलाज स्थानीय डॉक्टरों से काफी समय कराते रहे।

 आराम नहीं मिला तो झाड़फूंक कराने लगे। इससे उसकी हालत और बिगड़ गई। करीब सात माह पहले वह परिवारीजनों, राहगीरों, मोहल्ले के लोगों को मारने पीटने, गाली गालौज समेत रात में उठकर भागने लगा। इस पर परिवारीजनों ने उसे जंजीर से बांधकर रखना शुरू कर दिया। डॉ. पीके श्रीवास्तव ने बताया कि सरवर को बाईपोलर डिसआर्डर एवं मैनिक एपिसोड आदि समस्या से ग्रसित था। अस्पताल के एमएस डॉ. हिमांशु चतुर्वेदी ने बताया कि डॉ. पीके श्रीवास्तव की देखरेख में मरीज को वार्ड में अलग कमरे में परिवारीजनों के साथ 14 दिन तक भर्ती रखा गया। उसे दवाएं, इंजेक्शन दिए गए। स्वस्थ होने पर मरीज को छुट्टी दे दी गई।