यूजीसी और भारत सरकार को निर्धारित दिशा निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित कराने का निर्देश

यूजीसी और भारत सरकार को निर्धारित दिशा निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित कराने का निर्देश

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और भारत सरकार को आयोग द्वारा अपराधी छात्रों के सुधार के संबंध में 12 अप्रैल 2023 को जारी दिशा निर्देशों का प्रसार तथा कार्यान्वयन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है, साथ ही बनारस हिंदू विश्वविद्यालय को भी उक्त दिशा निर्देशों और हाईकोर्ट के निर्णय के अनुसार 6 महीने के अंदर अनुशासनात्मक जांच का सामना करने वाले छात्रों के लिए सुधार कार्यक्रम तैयार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यूजीसी को ऐसे सुधार कार्यक्रमों को विकसित करने और लागू करने में विश्वविद्यालयों की सहायता करने का निर्देश दिया गया था। उक्त आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट की एकलपीठ ने रौनक मिश्रा के निलंबन आदेश को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करार देते हुए रद्द कर पारित किया। कोर्ट ने पाया कि रिकॉर्ड में कार्यवाही की प्रकृति और छात्र की भूमिका का उल्लेख नहीं किया गया था। इसके अलावा निलंबन के दंडात्मक उपाय को उचित ठहराने के लिए कोई गंभीर स्थिति भी रिकॉर्ड पर नहीं लाई गई थी। 

कोर्ट ने माना कि सजा संस्थागत अनुशासन और छात्र सुधार के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए अनुपातिक होनी चाहिए। यूजीसी द्वारा निर्धारित दिशानिर्देश राष्ट्र निर्माण के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने आगे यह भी कहा कि जो विश्वविद्यालय यूजीसी के अंतर्गत आते हैं, उनका दायित्व है कि यूजीसी द्वारा निर्धारित दिशा निर्देशों को वह परिसर में लागू करें और यूजीसी को यह सुनिश्चित करना होगा कि निश्चित दिशा निर्देशों का अनुपालन किया जा रहा है या नहीं। केंद्रीय विश्वविद्यालय के संबंध में दिशा निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी भारत सरकार पर है। अंत में कोर्ट ने पाया कि कोर्ट के पूर्व निर्देशों के अनुपालन में बीएचयू ने सुधार कार्यक्रमों को अपने बायलॉज में शामिल करने के लिए कदम उठाए हैं और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने पहले ही इसे शामिल कर लिया है।

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