Unnao: आजादी के बाद हाल्ट घोषित होते गए रेलवे स्टेशन; कानपुर-बालामऊ रेल रूट के स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं का अभाव

Unnao: आजादी के बाद हाल्ट घोषित होते गए रेलवे स्टेशन; कानपुर-बालामऊ रेल रूट के स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं का अभाव

उन्नाव, अमृत विचार। चुनाव के दौरान भले ही राजनैतिक दलों व उनके प्रत्याशी लोक लुभावन वादे करते आ रहे हैं, लेकिन वास्तविकता में देश आजाद होने के बीते 75 वर्षों में किसी जनप्रतिनिधि ने क्षेत्रीय ग्रामीणों व कस्बाइयों को रेल सुविधाएं उपलब्ध कराने को तवज्जो नहीं दिया है। यही कारण है कि यात्रियों के लिहाज से कई रेलवे स्टेशन हाल्ट बनाकर सुविधाओं से मरहूम किए जा चुके हैं, जहां लंबी दूरी की ट्रेनों का ठहराव ही नहीं बैठने सहित पेयजल सुविधा भी नहीं है। 

उन्नाव 3 (2)

बता दें कि कानपुर को बालामऊ होकर लखनऊ-दिल्ली रेल रूट से जोड़ने वाले कानपुर-बालामऊ रेलवे ट्रैक पर तहसील और ब्लाक व नगर पंचायत मुख्यालयों सहित अन्य कई स्टेशन हैं। करीब आधा दर्जन स्टेशन को हाल्ट घोषित करते हुए रेल प्रशासन ने स्टाफ हटाकर टिकट बुकिंग की जिम्मेदारी अलग-अलग ठेकेदारों को सौंप रखी है। 

हाल्ट कहे जाने वाले इन स्थानों पर हालांकि पैसेंजर ट्रेनें ठहरती हैं, लेकिन सुविधाओं का पूरी तरह अभाव है। ठेकेदार मनमाने समय पर पहुंचकर टिकट बिक्री करता है। वरना लोगों को  बिना टिकट ट्रेन पर सवार होकर अगले स्टेशनों पर स्वयं को वैध रेल यात्री बनाने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। कई बार रास्ते के किसी स्टेशन पर टिकट न खरीद पाने पर टीटीई व टीसी के हत्थे चढ़ने पर जलालत के साथ जुर्माना भी भरना पड़ता है। 

फतेहपुर चौरासी सहित रेल रूट के अन्य हाल्ट स्टेशनों पर यात्रियों के लिए न तो ट्रेन का इंतजार करते समय बैठने को बेंच उपलब्ध हैं और न ही टीनशेड। इससे उन्हें गर्मी व बारिश के विपरीत मौसम में खुले आसमान के नीचे मौसम की मार बर्दास्त करते हुए ट्रेन का इंतजार करना पड़ता है। खुले में लघुशंका व शौच क्रिया से निवृत्त होने पर जुर्माना का प्रावधान किए जाने के बाद भी इन हाल्टों पर शौचालयों का निर्माण भी नहीं कराया गया है। यही नहीं पीने का शीतल नहीं सामान्य जल भी नहीं उपलब्ध रहता है। 

कई बार हैंड पंप खराब होने पर रेल अधिकारी महीनों बाद मरम्मत कराना मुनासिब समझते हैं। कस्बे व ब्लाक मुख्यालय के नाम से संचालित रेलवे स्टेशन पहुंचने के लिए मुकम्मल रास्ता भी नहीं है। इससे स्टेशन तक सवारी वाहन से पहुंचना मुश्किल रहता है। इसके अलावा स्टेशन के आसपास उगने वाली झाड़ियों को कटाना भी रेल अधिकारी जरूरी नहीं समझते हैं, जिससे स्टेशन आवागमन करने वालों को सांप आदि जहरीले जंतुओं का खतरा बना रहता है।

क्या कहते हैं यात्री

सरांय ग्रामीण निवासी मंशाराम राजपूत ने बताया कि कानपुर आवागमन के लिए रेल यात्रा सबसे मुफीद साधन है, लेकिन अधिकारियों की उपेक्षा से असुविधाओं के बीच भी सफर करने को मजबूर होना पड़ता है।

क्षेत्र के सादुल्लापुर ग्राम पंचायत के प्रधान जितेंद्र कुमार ने बताया कि ग्राम पंचायत को हाल्ट स्टेशन से जोड़ने वाले मार्ग पर बनवाए गए अंडर पास पर शेड का निर्माण न होने से बारिश होते ही आवागमन बाधित हो जाता है। 

इसी तरह छोटू चौरसिया ने हाल्ट स्टेशन पर पीने के पानी तक की सुविधा न उपलब्ध होने पर नाराजगी जताई। कहा कि लगातार मांग किए जाने के बाद भी यात्रियों को बैठने की सुविधा नहीं उपलब्ध हो सकी।

कठिघरा गांव निवासी पिंटू के मुताबिक कई पर रेल उच्चाधिकारियों से यात्री सुविधाओं की बहाली की मांग की जा चुकी है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो सकी है। इससे रेल के बजाए बसों से गंतव्य तक पहुंचना पड़ता है।

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